राजनीति

मायावती की खातिर बेटी के अंतिम संस्कार में नहीं गया था ये नेता, फिर उसे ही पार्टी से निकाल दिया

राजनीति की दुनिया ऐसी है जहां नेताओं के बीच आपस में प्रेम और कड़वाहट दोनों ही दिखती है। फिर कुछ नेता ऐसे भी होते हैं जो अपनी पार्टी की जीत और इमेज को बरकरार रखने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। इस दौरान कई ऐसे पल भी आते हैं जब नेता एक पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी ज्वाइन कर लेते हैं। राजनीति की दुनिया से जुड़ा ऐसा ही एक दिलचस्प किस्सा मायावती (Mayawati) और नसीमुद्दीन सिद्दीकी (Naseemuddin Siddiqui) का है।

मायावती के खास थे नसीमुद्दीन सिद्दीकी

गौरतलब है कि मायावती बसपा चीफ हैं। जब 2012 में उन्होंने विधानसभा चुनाव हारा था तो तब से लेकर अब तक कई लोग उनकी पार्टी को छोड़ चुके हैं। इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिन्हें मायावती ने खुद अपनी पार्टी से निकाल दिया था। नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी इनमें से एक हैं। एक जमाने में वे मायावती के बेहद खास थे। बसपा में मायावती के बाद उनका दूसरा स्थान था। हालांकि अब वे कांग्रेस में हैं।

मिनी सीएम कहलाते थे नसीमुद्दीन

नसीमुद्दीन सिद्दीकी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के रहने वाले हैं। वे 1991 में फर्स्ट टाइम बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह अपने इलाके के पहले मुस्लिम विधायक थे। बसपा ज्वाइन करने के बाद वे धीरे-धीरे मायावती के खास बनते चले गए। 2007 में जब मायावती मुख्यमंत्री बनी थी तो नसीमुद्दीन को मिनी सीएम कहा जाता था। उनके हिस्से कई प्रमुख मंत्रालयों की जिम्मेदारी आई थी।

मायावती ने किया था पार्टी से बाहर

10 मई 2017 में मायावती ने खुद नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से बाहर निकाल दिया था। उन्होंने नसीमुद्दीन पर अनुशासन हीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया था। उनके इस फैसले से कई लोग दंग रह गए थे। किसी को यकीन नहीं हुआ कि जो कभी मायावती के खास हुआ करते थे, उन्होंने उसे ही बाहर का रास्ता दिखा दिया।

नसीमुद्दीन ने मायावती पर लगाए थे कई आरोप

बसपा से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने भी मायावती पर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने मायावती को उनके लिए दी गई अपनी एक कुर्बानी याद दिलाई। उन्होंने बताया कि वह मायावती के लिए अपनी बेटी के अंतिम संस्कार में नहीं गए थे। उन्होंने कहा था –

मैं मायावती के लिए इतना समर्पित था कि अपनी इकलौती बेटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया था। 1996 में यूपी विधानसभा के चुनाव थे। मायावती बदायूं की बिल्सी सीट से चुनाव लड़ रही थी। मैं तब चुनाव प्रभारी था। चुनाव के बीच मेरी इकलौती बड़ी बेटी की तबीयत खराब हो गई। वह गंभीर रूप से बीमार हो गई। वह बांदा में रहती थी। मेरी बीवी का रो-रो कर बुरा हाल था। उसने मुझे कॉल किया और कहा कि बेटी की अंतिम सांस चल रही है। आप जल्दी आ जाओ।

मैंने यह बात मायावती जी को बताई। उन्होंने कहा कि चुनाव खराब हो जाएंगे अभी मत जाओ। उन्होंने मुझे जाने से रोक लिया। मैं भी उनकी खातिर नहीं गया। फिर मेरी बेटी का इलाज के अभाव में निधन हो गया। मैं बेटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया, बस मायावती जी के लिए चुनाव में व्यस्त रहा। मैं अपनी बेटी का अंतिम बार चेहरा भी नहीं देखा।

बताते चलें कि बीएसपी से निकाले जाने के बाद 2017 में नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी ही राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा नाम की पार्टी बना ली थी। हालांकि बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए।

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