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अगला नंबर स्वामी विवेकानंद का है, वीर सावरकर को तो बदनाम किया ही जा रहा : मोहन भागवत

जो संस्कृति सबको एक साथ बांधती है, वो है हिंदुत्व, सावरकर-विवेकानद का हिंदुत्व अलग नहीं : भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि है कि आजादी के बाद से ही देश में वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चल रही है और अगला नंबर स्वामी विवेकानंद का है. यह बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम के दौरान दिया.

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मंगलवार को भागवत नई दिल्ली में वीर सावरकर पर लिखी एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने कहा कि आज के समय में सावरकर के बारे में सही जानकारी की कमी है. मोहन भगवन ने दावा करते हुए कहा कि, वीर सावरकर के बारे में लिखी गईं तीन किताबों से उनको ठीक से जाना जा सकता है. हालांकि फिर भी भागवत का मानना रहा कि वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव है.

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वीर सावरकर के बारे में बात करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि, तत्कालीन परिस्थिति में सावरकर को लगा था कि हिंदुत्व पर जोर देना आवश्यक है. भागवत ने संघ के विचारक पी परमेश्वरन के हवाले से बताया कि, वह कहते थे सावरकर को बदनाम करने के बाद अब अगला नंबर स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद का है. ये राष्ट्रवाद के पुरोधा थे. सावरकर ने इन्हीं के विचारों से प्रेरणा ग्रहण की थी.

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गौरतलब है कि मंगलवार को उदय माहुरकर और चिरायु पंडित द्वारा स्वतन्त्रता सेनानी वीर सावरकर पर लिखी गई किताब का विमोचन हुआ था. इस कार्यक्रम में मुख़्य अतिथि के रूप में मोहन भागवत के अलावा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह, जितेंद्र सिंह, पुरुषोत्तम रूपाला, और अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित रहे.

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आगे संघ प्रमुख मोहन भावगत ने कहा कि, “भारतीय परंपरा धर्म से जुड़ती है, ये परंपरा उठाने वाली है न कि बिखेरने वाली. कुल मिलाकर ऐसे समझें कि भारतीय धर्म मानवता है. जो भारत का है, उसकी सुरक्षा और प्रतिष्ठा भारत से जुड़ी है.”

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भागवत ने हिंदुत्व पर जोर देते हुए कहा कि, हमारी संस्कृति उदार है जो हमें एक साथ बांधती है, वह है हिंदुत्व. आज के समय में यह कहने का फैशन सा बन गया है कि सावरकर का हिंदुत्व, विवेकानंद का हिंदुत्व. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. हिंदुत्व एक ही है, जो शुरुआत से है और अंत तक वही रहेगा. जो भारत का है वो भारत का ही है और उसकी सुरक्षा और प्रतिष्ठा भारत से ही जुड़ी है.

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