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अमित शाह की बदौलत जम्मू कश्मीर में हुई नए युग की शुरुआत, जाने जस्टिस मिश्रा ने ऐसा क्यों कहा

गृहमंत्री अमित शाह की गिनती भारत के सबसे चतुर नेताओं में होती है। उन्हें राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है। यही वजह है कि हर कोई उनकी तारीफ करते नहीं थकता है। मंगलवार 12 अक्टूबर एनएचआरसी का स्थापना दिवस कार्यक्रम था। इसमें अमित शाह भी पधारे थे। इस दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने उनकी जमकर तारीफ की।

जस्टिस मिश्रा ने अमित शाह के लिए कहा कि ‘आपके कठिन परिश्रम और प्रयासों के की बदौलत जम्मू-कश्मीर व उत्तर-पूर्व में शांति एवं कानून व्यवस्था के एक नए युग का सूत्रपात हुआ है।’ गौरतलब है कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई थी तब से ही गृहमंत्री अमित शाह की कोशिश थी कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया जाए।

साथ ही वे जम्मू कश्मीर को दो भागों में बांट कर जम्मू कश्मीर को एक और लद्दाख को दूसरा केंद्र शासित प्रदेश बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने संसद में प्रस्ताव पेश कर उसे पारित भी करवा लिया था। जस्टिस मिश्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में इसी तरफ इशारा कर रहे थे।

इस दौरान जस्टिस मिश्रा ने मानवाधिकार अधिकारों के हनन का आरोप लगने और देश विदेश में व्याप्त राजनीतिक हिंसा पर भी बात की। उन्होंने कहा कि मानव ही मानवता को समाप्त करने पर तुला हुआ है। ये दुर्भाग्य की बात है कि देश में अभी भी राजनीतिक हिंसा खत्म नहीं हुई है। निर्दोष व्यक्तियों के हत्यारों को गौरवान्वित करना सही नहीं है। ऐसे छद्म आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी का टैग देना उचित नहीं है।

narendra modi and amit shah

उन्होंने आगे कहा राजनैतिक हिंसा व आतंकवाद को लेकर समाजसेवी संस्थाओं और मानवाधिकार संरक्षकों को कड़ी निंदा करनी चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो उदासीनता कट्टरवाद को जन्म देगी। इसके लिए इतिहास में कभी माफ नहीं करेगा। अब टाइम आ गया है कि हम इसका विरोध करे, कम से कम ऐसी हिंसाओं के खिलाफ आवाज तो उठाए। बाहरी ताकतों ने द्वारा भारत पर मानवाधिकारों के हनन का छद्म आरोप लगाया है। ये अब सामान्य बात हो गई है। इसका विरोध होना चाहिए। ये जो संस्कृति और प्रचलित भाषाओं को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है उसका विरोध जरूरी है।

जस्टिस मिश्रा ने इस दौरान पुलिस जांच तंत्र को और मजबूत बनाने की बात भी कही। उन्होंने कहा पुलिस अन्वेषण प्रणाली को और ज्यादा असरदार और स्वतंत्र बनाने की जरूरत है। ये प्रणाली इतनी मजबूत बन जाए कि हमे सीबीआइ जांच की आवश्यकता ही न पड़े। उन्होंने पुलिस मुठभेड़ों पर कमेंट करते हुए कहा कि तुरंत न्याय देने की आड़ में पुलिस द्वारा मुठभेड़ होना या इसे लेकर उकसाना असंवैधानिक और निंदनीय कृत्य है। हमे इस इस बर्बरता से आजादी पानी होगी।

आरक्षण के लाभ पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि आरक्षण का लाभ अंतिम पंक्ति तक पहुंचाना जरूरी है। अभी कई उन्नत आरक्षित वर्ग भी इसका लाभ ले रहा है जिसके चलते इस वर्ग की पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक ये लाभ ठीक से नहीं पहुंच पा रहा है।

वहीं जस्टिस मिश्रा ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आयोग द्वारा किये जा रहे कामों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि सूर्य की किरणें आशा और गति को दर्शाती है। वह बिना किसी भेदभाव के सबको लाभ देती है। आयोग भी इसी तरह अपने प्रतीक चिह्न की मूल भावना को सार्थक करना चाहता है।

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