![धन की कमी और बुरे वक़्त से बचने के लिए करें सूर्योदय से पहले स्नान!](https://www.newstrend.news/wp-content/uploads/2017/06/bathing-tips-19.06.17-1.jpg)
धन की कमी और बुरे वक्त से बचने के लिए करें सूर्योदय से पहले करें ये काम
भारतीय शास्त्रों ने अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इंसान को पूरी तरह से साफ और स्वच्छ होना चाहिए। जब व्यक्ति का तन पवित्र रहता है तो उसका मन अपने आप प्रसन्न हो जाता है। इसके बाद किये गए किसी धार्मिक अनुष्ठान या पुन्य कर्मों का दोगुना फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्योदय से पहले तारों की छाया में किये गए स्नान से बुरी शक्तियां, परेशानियों और धन की समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है।
नहीं आते बुरे और डरावने स्वप्न:
व्यक्ति जब स्नान करे उस समय वह गुरु मन्त्र, कीर्तन-भजन, स्त्रोत या भगवान के नाम का जाप करे तो उसे अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। कूर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति सूर्योदय से पहले स्नान कर लेता है उसके पास धन की देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी, बुरे दौर और डरावने स्वप्न कभी नहीं आते हैं। आप तो जानते ही होंगे कि अच्छे से किये गए स्नान से थकावट दूर हो जाती है और तनाव भी कम होता है।
स्नान करते समय सबसे पहले सिर पर डालें जल:
अच्छे से नहाने से व्यक्ति का मन प्रसन्न रहता है और उसका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। शास्त्रों में स्नान करने की एक खास विधि के बारे में बताया गया है। स्नान करते समय पहले सिर पर जल डालें और उसके बाद पूरे शरीर पर जल गिरायें। इसके पीछे आध्यत्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी हैं। इस तरह से स्नान करने से सिर के रास्ते से होती हुई शरीर की गर्मी पैरों से निकल जाती है।
शास्त्रों में 4 प्रकार के स्नान का वर्णन मिलता है:
*- ब्रह्म स्नान:
इस स्नान को सबसे पवित्र माना गया है। जो लोग सूर्योदय से पहले भगवान का नाम लेते हुए स्नान करते हैं, उसे ब्रह्म स्नान कहा जाता है। ऐसा स्नान करने से व्यक्ति के जीवन में किसी तरह का कोई शारीरिक और मानसिक कष्ट नहीं आता है।
*- देव स्नान:
सूर्योदय के बाद जो लोग स्नान करते समय पवित्र नदियों का नाम लेते हुए स्नान करते हैं, उसे देव स्नान कहा जाता है। इस तरह के स्नान से भी जीवन में आने वाली सभी परेशनियों का अंत हो जाता है।
*- यौगिक स्नान:
यह स्नान योग के माध्यम से अपने ईष्ट देव का ध्यान करते हुए किया जाता है। यौगिक स्नान को आत्मतीर्थ स्नान भी कहा जाता है। इसे आत्मतीर्थ स्नान इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस स्नान को करने के बाद तीर्थों की यात्रा के समान फल मिलता है।
*- दानव स्नान:
जो लोग चाय पीने या भोजन करने के बाद स्नान करते हैं, उसे दानव स्नान कहा जाता है। आज के समय में ज्यादातर लोग यही स्नान करते हैं। यही वजह है कि आज के समय में इंसान ज्यादा परेशान रहता है।