समाचार

कमजोर सम्बन्ध होने के बावजूद मिलकर करना चाहते हैं पीएम मोदी और ट्रम्प ये काम, जानें!

न्यूयॉर्क: भारत और एशिया मामलों के जानकार का कहना है कि भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दोनों सधे हुए व्यापारी हैं। दोनों किसी भी चीज को पूरा करने के लिए पुरानी परम्पराओं को तोड़ने के लिए भी तैयार हैं, एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टिट्यूट के साथ भारत के सीनियर फेलो मार्शल बाउटन ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि ट्रम्प सरकार अपने माल को निर्यात करने के लिए बाजार चाहती है और भारत निवेश।

तोड़ना चाहते हैं पुरानी परम्पराओं और नीतियों को:

इन दोनों देशों के ये दोनों नेता बहुत ही सधे हुए कारोबारी हैं। ये चीजों को पूरा करने के लिए पुरानी परम्परा और नीतियों को तोड़ना चाहते हैं। आपको बता दें कि अगले सप्ताह दोनों देशों के बीच बैठक होने वाली है। ऐसे में दोनों देशों के नेताओं को अपनी पहली बैठक के दौरान द्विपक्षीय आर्थिक सम्बन्ध बदलने पर ध्यान देना चाहिए।

बाउटन ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग के मुकाबले सबसे कमजोर बताया है। बाउटन ने यह भी कहा कि अगर दोनों देशों के नेता नरेन्द्र मोदी और ट्रम्प अमेरिका और भारत के संबंधों के बारे में कुछ बड़ा सोचना चाहते हैं तो उन्हें अपने आर्थिक संबंधों में बदलाव लाने के बारे में सोचना होगा।

तेजी से बढ़ा है भारत का निर्यात:

उन्होंने पुराने राष्ट्रपतियों का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह जार्ज बुश के समय में असैन्य परमाणु समझौते और ओबामा के समय जलवायु समझौते से दोनों देशों के कुटनीतिक सम्बन्ध काफी मजबूत हुए थे। उन्होंने बताया कि इस समय अमेरिका का भारत के साथ 100 अरब डॉलर तक व्यापार बढ़ गया है। पिछले 15 वर्षों में भारत का निर्यात तेजी से बढ़ा है।

इसके बावजूद अमेरिका में भारतीय माल का कुल निर्यात 2016 में कुल अमेरिकी निर्यात का केवल 2.1 प्रतिशत ही रहा। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका की यात्रा ऐसे समय कर रहे हैं जब भारत और उसके बीच कुछ ज्यादा अच्छे सम्बन्ध नहीं हैं। एच1बी वीजा की वजह से भारतीय आईटी पेशेवरों और कंपनियों की चिंता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

Back to top button