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सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई को लेकर मोदी सरकार की तारीफ़ की, “हम बहुत खुश हैं”

विपक्ष आए दिन कोरोना काल में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की आलोचना करता रहा। लेकिन बाक़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं और देश के भीतर की न्यायिक और सामाजिक संस्थाएं भी आए दिन केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों की सराहना की। इसी के तहत सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मौत पर मुआवजे के मामले में सुनवाई के दौरान कोरोना महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर केंद्र सरकार की सराहना की है।

गुरुवार को जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि कोरोना प्रबंधन के मामले में भारत ने जो किया है, वह कोई अन्य देश नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि हमें इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान लेना होगा कि भारत ने जो किया है, वह कोई अन्य देश नहीं कर सका। इतनी बड़ी आबादी के बावजूद, हमने एक देश के रूप में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है। मुआवजे को लेकर केन्द्र सरकार के प्रस्तावों पर न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि, “हम बहुत खुश हैं। यह फैसला उनके आंसुओं को पोंछने वाला है। इससे पीड़ित लोगों को कुछ सांत्वना जरुर मिलेगी।”

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वहीं कोरोना महामारी से हुई मौतों के लिए अनुग्रह राशि की मांग वाली जनहित याचिका पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस पर 4 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा।

मुआवजे को लेकर केन्द्र सरकार का प्रस्ताव…

बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। कोर्ट ने इसपर खुशी जाहिर की। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, “हम नुकसान की पूरी भरपाई नहीं कर सकते, लेकिन पीड़ित लोगों के लिए कुछ तो कर सकते हैं।” आइए ऐसे में हम आपको बताते हैं इस प्रस्ताव की कुछ अहम बातें…

1) कोरोना से मरने वाले लोगों के परिवार को ₹50000 रुपए अनुग्रह राशि दी जाएगी।

2) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के लिए अनुग्रह राशि पर दिशा-निर्देश जारी किया।

3) NDMA ने राज्यों द्वारा राज्य आपदा राहत कोष से भुगतान करने के लिए ₹50 हजार रुपए निर्धारित किए हैं।

4) COVID-19 के कारण खुदकुशी करने को भी केंद्र सरकार ने अब कोविड से हुई मौत मानने का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है।

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5) कोविड संक्रमित होने के 30 दिनों के भीतर अगर कोई खुदकुशी कर लेता है तो इसे कोविड से हुई मौत माना जाएगा और उनके परिजनों को भी मुआवजा दिया जाएगा।

6) यह सहायता राशि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर में जान गंवा चुके लोगों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि महामारी की भविष्य में आ सकने वाली लहर में भी और अगली अधिसूचना तक जारी रहेगी।

7) यह अनुग्रह राशि राज्य आपदा मोचन कोष (SDRF) से राज्यों द्वारा मुहैया की जाएगी और जरूरी दस्तावेज सौंपने के 30 दिनों के अंदर सभी दावों का निपटारा किया जाएगा।

8) परिजनों को आधार कार्ड से जुड़े प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) प्रक्रिया के जरिए राशि हस्तांतरित की जाएगी।

9) कोरोना से मौत होने पर परिजनों को मिलने वाली मुआवजा राशि के लिए कोविड-19 मृत्यु प्रमाण पत्र जरूरी है।

कोविड पीड़ितों को 50 हजार रुपये का मुआवजा भद्दा मजाक: कांग्रेस…

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बता दें कि एक तरफ़ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की तारीफ़ की, तो वहीं दूसरी तरफ़ एक बार फिर कांग्रेस ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि दिये जाने की सिफारिश को लेकर गुरुवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि यह शोक संतप्त परिवारों के साथ भद्दा मजाक है। यह सरकार के अहंकार एवं असंवेदनशीलता का प्रमाण है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने केंद्र से यह आग्रह भी किया कि कोविड से मौतों का सही आंकड़ा पता करने के लिए फिर से सर्वेक्षण कराया जाए और संबंधित परिवारों को चिह्नित कर उन्हें पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।

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बता दें कि सुप्रिया ने संवाददाताओं से कहा कि, “मोदी सरकार के ढोंग का एक बार फिर पर्दाफ़ाश हो चुका है। पहले तो सरकार की विफलता के चलते लाखों लोगों की कोरोना काल में जान चली गई और अब शोक संतप्त परिवारों के घावों पर नमक-मिर्च रगड़ा जा रहा है। मृतकों के परिजन को मात्र 50,000 रुपये का मुआवज़ा देने की बात करना इन परिवारों के साथ भद्दा मज़ाक़ है।” सुप्रिया ने आरोप लगाया कि यह सरकार के अहंकार और असंवेदनशीलता का प्रमाण भी है।

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