राजनीति

विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद बेटी राधिका का छलका दर्द, कह दी भावुक करने वाली यह बात

पिता के इस्तीफे के बाद बेटी Radhika Rupani का सोशल मीडिया पर छलका दर्द, कही मोदी से जुड़ी यह बात

बीते दिनों गुजरात सूबे में बड़ा राजनीतिक फेरबदल देखने को मिला। जी हां गुजरात में बीजेपी ने बड़ा फेरबदल करते हुए विजय रूपाणी से इस्तीफा लिया और भूपेंद्र पटेल को राज्य का नया सीएम बनाया। गौरतलब हो कि विजय रूपाणी के इस्तीफे के पीछे की कहानी कोई चंद मिनटों में नहीं लिखी गई, बल्कि कई दिनों में बनकर तैयार हुई।

Vijay Rupani Daughter

जिसे बीते दिनों अमलीजामा पहनाया गया। अब ऐसे में कई लोग उनके अलोकप्रिय चेहरे को उनके हटाएं जाने की वजह बता रहे हैं। हालांकि, रूपाणी की बेटी राधिका ने ऐसे लोगों को जमकर लताड़ा है और एक फेसबुक पोस्ट में रूपाणी की बेटी ने कहा है कि जब साल 2002 में अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ था तो मोदी जी से पहले मेरे पिता जी वहां पहुंचे थे।

vijay rupani

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की बेटी राधिका ने रविवार को अपने फेसबुक पेज पर एक भावनात्मक पोस्ट लिखकर अपने पिता के संघर्ष के बारे में बताया। जी हां इस पोस्ट के जरिए राधिका ने उन सभी लोगों को आड़े हाथ लेने का काम किया है। जिन्होंने उनके पिता की मृदुभाषी छवि को उनके फेल होने का कारण बताया। गौरतलब हो कि राधिका ने लिखा कि, ” क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता नहीं होनी चाहिए? क्या यह एक आवश्यक गुण नहीं है जो हमें एक नेता में चाहिए? क्या नेता अपनी मृदुभाषी छवि के जरिए लोगों की सेवा नहीं करते।”

Radhika

इतना ही नहीं राधिका ने लिखा कि मेरे पिता का संघर्ष वर्ष 1979 में शुरू हुआ था। उस दौरान उन्होंने मोरबी बाढ़, अमरेली में बादल फटने की घटना, कच्छ भूकंप, स्वामीनारायण मंदिर आतंकवादी हमले, गोधरा की घटना, बनासकांठा की बाढ़ के दौरान अपनी जान दांव पर लगाकर लोगों की सेवा की। इतना ही नहीं ताउते तूफान और यहां तक कि कोविड के दौरान भी मेरे पिता पूरी जी-जान लगाकर काम कर रहे थे।

आतंकी हमले के वक्त नरेंद्र मोदी से पहले पहुंचे थे मेरे पिता…

Vijay Rupani Daughter

बता दें कि वहीं राधिका ने कहा कि साल 2002 में स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में हुए आतंकी हमले के वक्त मेरे पिता घटनास्थल पर पहुंचने वाले पहले शख्स थे, वह नरेंद्र मोदी से पहले ही मंदिर परिसर पहुंचे थे। राधिका ने कहा कि उनके पिता 2001 के भूकंप के दौरान भचाऊ में बचाव और पुनर्वास का काम कर रहे थे और इस दौरान उन्हें और उनके भाई ऋषभ को भूकंप को समझने के लिए कच्छ ले गए थे। राधिका ने आगे लिखा कि जब हमलोग बच्चे थे तो मेरे पिता रविवार को हमें मूवी थिएटर में नहीं ले जाते थे लेकिन इसकी जगह वे भाजपा कार्यकर्ताओं के घर घुमाते थे।

मेरे पिता जनसरोकार से जुड़े नेता…

Vijay Rupani Daughter

इतना ही नहीं राधिका ने आगे कहा कि मेरे पिता ने कई कड़े कदम भी उठाए हैं। भूमि हथियाने वाला कानून, लव जिहाद, गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध अधिनियम (गुजसीटीओसी) जैसे फैसले इस बात के सबूत हैं। मैं पूछना चाहती हूं कि क्या कठोर चेहरे का भाव पहनना ही एक नेता की निशानी है?

पिता ने कभी नहीं किया गुटबाजी का समर्थन…

Vijay Rupani Daughter

वहीं राधिका ने कहा कि घर पर हम हमेशा चर्चा करेंगे कि क्या मेरे पिता की तरह एक साधारण व्यक्ति भारतीय राजनीति में जीवित रहेगा। जहां भ्रष्टाचार और नकारात्मकता प्रचलित है। मेरे पिता हमेशा कहते थे कि राजनीति और राजनेताओं की छवि भारतीय फिल्मों और सदियों पुरानी धारणा से प्रभावित है और हमें इसे बदलना होगा।

उन्होंने कभी भी गुटबाजी का समर्थन नहीं किया और यही उनकी विशेषता थी। कुछ राजनीतिक विश्लेषक सोच रहे होंगे कि, “यह विजयभाई के कार्यकाल का अंत है”। लेकिन हमारी राय में उपद्रव या प्रतिरोध के बजाय, आरएसएस और भाजपा (एसआईसी) के सिद्धांतों के अनुसार सत्ता को लालच के बिना छोड़ देना बेहतर है।

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