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दुनिया के मानचित्र पर 20 वर्ष पीछे लौट चुका है कंधार, जानिए क्या है वज़ह…

अपने वादों से मुकर रहा है तालिबान, महिलाओं के लिए जारी हुए नए फ़रमान। जानिए...

बीते दिनों जब से अफगानिस्तान पर तालिबानियों ने कब्जा जमाया है। तभी से अफगानिस्तान के हालत बिगड़ते जा रहें है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जें के बाद से सबसे ज़्यादा दिक्कतें महिलाओं को झेलनी पड़ रही है। तालिबान के कब्ज़े के शुरुआत में कुछ जगहों से छिटपुट तौर पर क्रूरता की ख़बरें आनी शुरू हो गई थीं। लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि कंधार में तालिबान के आतंकवादियों ने संगीत और टीवी-रेडियो चैनलों पर महिलाओं की आवाजें प्रसारित करने पर पाबंदी लगा दी है।

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तालिबान की दहशत के चलते मीडिया हाउस ने अपनी महिला कर्मचारियों से काम पर नहीं आने का आदेश दिया है। दो दशक पहले तालिबान के इसी चरित्र को देखकर दुनिया परेशान थी और लगता है कि वही पुराना दौर फिर से शुरू हो चुका है। जबकि तालिबान और उसके पाकिस्तान जैसे समर्थक हाल में कहने लगे थे कि यह आतंकवादी संगठन अब बदल चुका है।

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महिलाओं की आवाज़ पर पाबंदी…

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बता दें कि कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक काबुल पर कब्जे के दो हफ्ते होने से पहले ही तालिबान ने अपने वादों से मुकरना शुरू कर दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कंधार में तालिबान ने म्यूजिक, टीवी और रेडियो चैनलों पर महिलाओं की आवाज प्रसारित करने पर बैन लगा दिया है। तालिबान ने कंधार में टीवी और रेडियों चैनलों को हुक्म दिया है कि वह म्यूजिक और महिला आवाजों को एयर करना बंद कर दें।

गौरतलब हो कि इस बात का खुलासा तब हुआ है, जब हाल में कुछ मीडिया संगठनों ने महिला कर्मचारियों की छुट्टी कर दी है। वहीं काबुल की कुछ लोकल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां भी कुछ महिला स्टाफ को अपने काम से घर लौट जाने को कह दिया गया है।

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वादों को दरकिनार कर रहा तालिबान…

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मालूम हो कि यह तालिबान के उस वादे के ठीक उलट है, जिसमें उसने महिलाओं को न सिर्फ काम करने की इजाजत देने की बात कही थी, बल्कि (इस्लामिक कानूनों के तहत) पढ़ाई करने देने का भी विश्वास दिलाया था। अफगानिस्तान की लोकल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब स्थानीय महिलाओं ने अपनी रोजमर्रे की जिंदगी में तालिबान की वजह से मुश्किलों का सामना करना शुरू कर दिया है।

दो दशक पहले जब अफगान पर तालिबान की हुकूमत थी, तो यह संगठन महिलाओं को सिर ढक कर रखने के लिए मजबूर करने और परिवार के किसी पुरुष सदस्य के साथ ही बाहर निकलने देने के फरमान को लेकर ही कुख्यात हुआ था।

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इतना ही नहीं बता दें कि 15 अगस्त को काबुल पर फतह करने के बाद तालिबान ने 17 अगस्त को पूरे अफगानिस्तान में एक आम माफी का ऐलान किया था और महिलाओं से यहां तक कहा था कि उसकी सरकार में शामिल हों। हालांकि, तब भी यही माना जा रहा था कि तालिबान ऐसा कहकर यह बताना चाह रहा है कि वह अब सुधर चुका है। तालिबान ने ऐसा तब कहा था, जब काबुल एयरपोर्ट से ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल हुई थीं, जिसमें लोग हवाई जहाज से भागने के लिए बेसब्र नजर आ रहे थे और विशाल फ्लाइंग मशीन में लोग लटकते हुए दिखाई दे रहे थे।

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वहीं गौरतलब है कि तालिबान के दो दशक पहले वाला चेहरा दुनिया आजतक नहीं भूली है। यही वजह है कि अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों के हथियार डालने के बाद सबसे ज्यादा महिलाएं ही घबराईं हुईं थी और वह घबराहट में देश छोड़ना चाहती थीं और अब उनकी आशंकाएं सही साबित हो रही हैं और पहले से ऐसी रिपोर्ट भी आ चुकी हैं कि आतंकवादी घर-घर जाकर शादी लायक और विधवा औरतों की या तो लिस्ट तैयार कर रहे हैं या फिर जबरन अगवा कर रहे हैं।

ऐसे में एक बात स्पष्ट है कि तालिबानियों की सोच और नीति में बदलाव सिर्फ़ दिखावा और छलावे से ज़्यादा कुछ नहीं और उससे भी बड़ा सवाल यह है कि मानवता की वक़ालत करने वाले अंतरराष्ट्रीय संस्थान इस मामले में चुप्पी क्यों साधे हुए है?

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