विशेष

मकान बनवाने के लिए इकठ्ठा किये थे 66000 रूपये, भूखी बकरी खा गयी सारे पैसे!

भूख भी बड़ी अजीब चीज होती है। इंसान हो या जानवर भूख लगने के बाद वह कुछ भी खा जाता है। अगर इस पापी पेट का सवाल ना होता तो शायद कोई काम भी नहीं करता। लोग दिन-रात कड़ी मेहनत इसीलिए करते हैं कि उन्हें पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी मिल सके। लेकिन जानवर तो ऐसा नहीं कर सकते। वह अपने मालिक पर ही निर्भर रहते हैं।

जंगल में रहने वाले जानवर अपनी मर्जी से खाते हैं। लेकिन जब उन्हें कोई अपना पालतू बना लेता है तो ऐसे जानवर को खाना मालिक की मर्जी के हिसाब से ही मिलता है। घर पर जो जानवर पाले जाते हैं, वह एक पारिवारिक सदस्य की तरह होते हैं। लोग उनका ख्याल अपने बच्चे की तरह रखते हैं। लेकिन हर कोई ऐसा नहीं करता है। कई बार जानवरों को समय पर चारा डालना भूल जाते हैं। उसका नतीजा इतना भयावह होगा, आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।

मालिक की जेब से निकालकर चबा गयी सारे पैसे:

जी हां! एक भूखी बकरी ने भूख के वसीभूत होकर अपने मालिक के 66,000 रूपये के नोट खा लिए। यह मामला उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के एक गांव का है। बकरी भूखी थी। पास खड़े मालिक सर्वेश कुमार की जेब में 66,000 रूपये पड़े हुए थे। बकरी ने अपने किसान मालिक की जेब में मुंह डाला और पैसे निकालकर चबाने लगी। सर्वेश ने बताया कि वह यह पैसे मकान बनवाने के लिए इकठ्ठा कर रहा था।

सर्वेश के पास बचे केवल 4000 रूपये:

जब सर्वेश की नजर अपनी बकरी पर पड़ी तो वह देखकर सन्न रह गया। दरअसल बकरी उसके जेब में रखे नोटों को निकालकर चबा रही थी। सर्वेश ने बकरी को नोट चबाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बकरी ने काफी नोट चबाकर खराब कर दिए थे। आपको बता दें कि ये सभी नोट 2000 के थे। सर्वेश के पास कुल 33 नोट थे, जिसमें से बकरी 31 नोट चबा चुकी थी। उसके पास केवल 2 ही नोट बच पाए।

सर्वेश ने बताया कि बकरी को कागज खाना बहुत पसंद था। मौका मिलते ही उसने नोट चबाना शुरू कर दिया। मैं कुछ कर भी नहीं पाया क्योंकि यह बकरी मेरे बच्चे के सामान है। जैसे ही गांव वालों तक यह खबर पहुंची सभी सर्वेश की बकरी को देखने आ गए। कुछ लोगों ने बकरी को बेचने की भी सलाह दी, क्योंकि यह बकरी उसके लिए बदकिस्मती लेकर आयी है। एक पड़ोसी ने तो हद कर दी, उसने कहा कि बकरी अपराधी है, इसे पुलिस के हवाले कर दो। जबकि सर्वेश और उसकी पत्नी ने कहा कि हम इतने क्रूर नहीं हैं, यह हमारे बच्चे की तरह है।

Back to top button