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काबुल पर कब्ज़ा करते ही सामने आया तालिबान का असली चेहरा, रिहा किए 1 हजार खूंखार आतंकी

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करते ही वहां की जेल में कैद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के 1 हजार आतंकियों को जेल से रिहा कर दिया है। रिहा किए गए आतंकी तहरीक-ए-तालिबान, अल कायदा और आईएसआईएस के हैं। यह कैदी अफगानिस्तान की अलग-अलग जेलों में बंद थे।

बता दें, रिहा कैदियों में टीटीपी के डिप्टी चीफ फकीर मोहम्मद को भी जेल से बाहर कर दिया गया है। मौलवी फकीर मोहम्मद डीटीपी का पूर्व डिप्टी चीफ है, उसका जेल से बाहर आना पाकिस्तान के साथ-साथ अफगानिस्तान के लिए भी चिंता की बात है। इससे पहले मौलाना फकीर का अलकायदा प्रमुख आयमन अल जवाहिरी से भी काफी अच्छा रिश्ता था। साल 2013 में अफगान सुरक्षाबलों ने मौलाना फकीर को गिरफ्तार किया था और पाकिस्तान इसका प्रत्यर्पण चाहता था।

खबरों की माने तो काबुल पर कब्जा करते ही पिछले हफ्ते भी तालिबान ने कुछ कैदी रिहा कर दिए थे। यह कैदी बगराम, कंधार और काबुल की जेल में बंद थे। रिहा किए गए तालिबान कमांडरों में जैयतुल्ला महसूद, कारी हमीदुल्ला महसूद, हमीद महसूद, मजहर महसूद, वकास महसूद, हमजा महसूद, जारकावी महसूद प्रमुख हैं। कहा जा रहा है कि, अब तक 1 हजार से भी ज्यादा टीटीपी कमांडरों को रिहा किया जा चुका है।

टीटीपी के प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए तालिबान के प्रमुख मुल्लाह हिबातुल्लाह अखुंदजादा को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि, इस्लामिक अमीरात का वह पूरा समर्थन करते हैं। मुफ्ती नूर वली महसूद का कहना है कि, उनके तालिबान से अच्छे रिश्ते हैं। मुफ्ती ने पाकिस्तान के साथ अपना संघर्ष जारी रखने का एलान किया। इसके अलावा उन्होंने काबुल में कैद टीटीपी के 1 हजार कमांडर को जेल से बाहर करने के तालिबान के प्रमुख का शुक्रियाअदा किया है।

बता दें, काबुल पर कब्ज़ा करते ही तालिबान अपना असली चेहरा दिखाने लगा है। खबरों की माने तो तालिबान ने भारत से सभी तरह का आयात-निर्यात रोक दिया है। भारतीय निर्यात संगठन संघ (एफआईईओ) के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय ने बताया कि, “हम अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखे हैं। वहां से आयात पाकिस्तान के पारगमन मार्ग से होता है।

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अब तालिबान ने पाकिस्तान से माल की आवाजाही रोक दी है, इसलिए लगभग आयात बंद हो गया है।” यदि लंबे समय तक इस तरह का ही माहौल रहा तो आने वाले दिनों में ड्राई फ्रूट्स की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, क्योंकि भारत करीब 85 फीसदी सूखे मेवे अफगानिस्तान से आयात करता है।

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गौरतलब है कि, 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने काबुल में प्रवेश करते ही पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। वहीं तालिबान के खौफ से अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं। कहा जा रहा है कि 72 वर्षीय राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने साथ नगदी से भरा हेलीकॉप्टर लेकर देश से भागे हैं। तालिबान का कबजा होते ही अफगानिस्तान में डर का माहौल है और यहां से लोग किसी भी तरह भागना चाहते हैं।

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बता दें, अफगानिस्तान पर साल 1996 से 2001 तक तालिबान का शासन था। इसके बाद 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिका नित सैन्य बलों ने अफगानिस्तान पर से तालिबान का शासन समाप्त कर दिया था। ऐसे में 20 साल बाद तालिबान एक बार फिर अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुका है जिससे हर तरफ डर का माहौल है।

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