राजनीति

काबुल हवाई अड्डे पर मची अफरा-तफरी, अमेरिकी सेना ने एयरपोर्ट पर उतारे सैनिक, दूतावास हुए बंद

अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्जा होते ही यहां अफरा-तफरी मच गई। काबुल के लोग तालिबान को लेकर दहशत में हैं और जैसे-तैसे अफगानिस्तान से भागने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन तालिबान की ओर से भरोसा दिलाया जा रहा है कि, वहां के लोगों की जान सुरक्षित रहेगी। लेकिन अपनी क्रूरता के लिए पहचाने जाने वाले तालिबान पर अफगानियों को जरा-सा भी भरोसा नहीं है और यहां के लोग जल्द से जल्द अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं। ऐसे में काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लोगों की भारी भीड़ है। इतना ही नहीं बल्कि एयरपोर्ट पर हालात बेकाबू हो गए हैं जिसके चलते 5 लोगों की मौत भी हो गई है।

वहीं अमेरिकी सेना ने हवाई अड्डे को अपने नियंत्रण में ले लिया है और करीब 6 हजार जवानों को लोगों की सुरक्षा में तैनात कर दिया गया है। इसके साथ ही अमेरिका अपने कर्मचारियों के अलावा अन्य लोगों को भी काबुल से निकालने की कोशिश में लगा हुआ है। फिलहाल अमेरिका ने व्यवसाय उड़ानों पर रोक लगा दी है।

अमेरिका का कहना है कि, वह तुर्की समेत अन्य देशों के साथ काबुल एयरपोर्ट को खाली करने की कोशिश कर रहा है ताकि नियमित उड़ानें शुरू की जा सके। इसके अलावा अमेरिका ने दूसरे देशों से कहा है कि अफगानिस्तान के वायु क्षेत्र से बचें। वहीं फ्रांस ब्रिटेन जापान और अमेरिका समेत 60 देशों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि अफगानिस्तान से जो लोग भी बाहर जाना चाहे उन्हें जाने दीजिए।

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका ने अपने दूतावास से अपना ध्वज उतार लिया। साथ ही अमेरिका ने अपने राजदूत समेत अन्य लोगों को एयरपोर्ट पर सुरक्षित रखा है। वहीं फ्रांस, जर्मनी और न्यूजीलैंड समेत कई देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए हैं, हालांकि रूस और तुर्की ने अपने दूतावास बंद नहीं किए हैं। रूस का कहना है कि अभी दूतावास कर्मियों को निकलने की जरूरत नहीं है, वही तुर्की ने भी कहा कि उसका दूतावास काम करता रहेगा।

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इसी बीच तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने अपने बयान में कहा कि, “अफगानिस्तान के लोगों और मुजाहिदीन के लिए आज का दिन अहम है। 20 साल की लड़ाई लड़ने के बाद हमारे लोगों द्वारा दिए गए बलिदान का नतीजा सामने आया है। अल्लाह का शुक्रिया, देश में युद्ध खत्म हो गया।” आगे नईम ने कहा कि, “जल्दी नई सरकार के स्वरूप का ऐलान किया जाएगा। तालिबान शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंध जाता है और वह किसी भी तरह से अलग-थलग नहीं रहना चाहता। तालिबान अपनी जमीन का किसी दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा और न ही दूसरे लोगों को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाएगा।”

हर चौराहे पर तालिबान लड़ाके तैनात

जानकारी के मुताबिक, तालिबान ने जहां जहां कब्ज़ा किया है वहां के हर चौराहे पर अफगान लड़ाके तैनात कर दिए गए हैं। सड़के वीरान पड़ी हुई है, कुछ इक्का-दुक्का वाहन ही दिखाई दे रहे हैं और इन्हें भी गहरी जांच और तलाशी से निकलना पड़ रहा है। इसके अलावा तालिबान ने एक जेल पर कब्जा कर लिया है जहां हजारों कैदियों को छोड़ दिया और यह सभी आम लोगों में मिल गए हैं, जिससे लोगों के अंदर काफी डर बैठा हुआ है। लूटपाट की घटनाएं भी लगातार हो रही है।

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क्यों है अफगानियों में तालिबान का खौफ?

बता दें, तालिबान बार-बार लोगों को भरोसा दिला रहा है कि अफगानिस्तान के लोगों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा लेकिन फिर भी लोग देश छोड़ने के लिए अफरा-तफरी मचा रहे हैं। दरअसल अफगानी तालिबान की क्रूरता से भली-भांति परिचित है। साल 1996 से 2001 के दौरान अफगानिस्तान में तालिबान का शासन रहा था।

इस दौरान तालिबान शासन ने महिलाओं को न काम करने की आजादी दी थी और न ही अकेले घर से बाहर निकलने की। इतना ही नहीं बल्कि मामूली अपराध पर महिलाओं को पत्थर से मारने की सजा सुनाई जाती थी। इन अपराधियों को बेरहमी से बीच चौराहे पर मार दिया जाता था। यही वजह है कि अफगानी तालिबान के चंगुल से बचना चाहते हैं।

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