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आज भारत के पास रूस की वजह से ही है कश्मीर, जानिये अमेरिका की वो चाल जिसे रूस ने कर दिया फेल

रूस और भारत की दोस्ती आज से नहीं बल्कि कई सालों से है। आज रूस और भारत के मित्रता की 70वीं वर्षगाठ है। आज से ठीक 70 साल पहले उस समय के सोवियत संघ ने 13 अप्रैल 1947 को मास्को और दिल्ली में दोस्ती की नई शुरुआत की थी। आज 70 साल हो गए दोनों देशों की दोस्ती को लेकिन दोस्ती आज भी बरकार है। बीच में कुछ समय के लिए ऐया लग रहा था कि अमेरिका से भारत की बढ़ती करीबी की वजह से रूस भारत से रिश्ते तोड़ लेगा। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।

भारत और रूस की दोस्ती आज भी कायम:

इन 70 सालों में विश्व में कई बड़े बदलाव हुए हैं, लेकिन भारत और रूस की दोस्ती आज भी कायम है। विश्व के अन्य देश भारत और रूस की दोस्ती की मिशाल देते हैं। रूस किसी भी परिस्थिति में भारत के साथ खड़ा रहता है। बिना किसी दबाव के रूस कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के साथ खड़ा रहा। 22 जून 1962 को रूस ने अपने 100वें वीटो का प्रयोग करके ही कश्मीर को भारत का हिस्सा बताया था। उस समय आयरलैंड भारत के खिलाफ था।

अमेरिका ने अन्य देशों के साथ मिलकर चली थी चाल:

आयरलैंड ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पारित किया था। जिसका समर्थन अमेरिका के साथ चीन, फ़्रांस, आयरलैंड, चिली और वेनेजुएला ने किया था। ये सभी कश्मीर को भारत से छिनकर पाकिस्तान को देना चाहते थे। लेकिन रूस ने ऐसा नहीं होने दिया। अपने वीटो का प्रयोग करके भारत के खिलाफ सभी देशों की चाल को नाकाम कर दिया। एक साल पहले भी रूस ने अपने 99 वें वीटो का प्रयोग भारत की मदद के लिए ही किया था।

इस वीटो की मदद से रूस ने गोवा को भारत का हिस्सा बताया था। जब कभी भी सुरक्षा परिषद् में कोई प्रस्ताव पाकिस्तान के समर्थन में आता है रूस उसे अपने वीटो का प्रयोग करके विफल कर देता है। रूस ने भारत का परमाणु और अन्तरिक्ष विकास के क्षेत्र में हमेशा साथ दिया है। रूस के न्यूज़ पेपर रुसियास्काया गजेटा में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और चीन की दोस्ती पर एक लेख लिखा है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं। उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि जब भी भारत किसी मुसीबत में पड़ता है तो रूस ने हमेशा साथ दिया है।

दोनों देशों की सेनाओं के बीच चलता रहता है सैन्य अभ्यास:

रूस में भारत और रूस के बीच 18वाँ वार्षिक सम्मलेन होने जा रहा है। इस सम्मलेन की अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन करेंगे और इसके मुख्य अतिथि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी हैं। इस द्विपक्षीय वार्ता में कई अहम मुद्दों पर समझौते होने वाले हैं। इस दौरान सबसे बड़ा समझौता भारत के तमिलनाडु में कुडनकुलम में पांचवी और छठी परमाणु इकाई के लिए समझौता होगा। औद्योगिक क्षेत्र में भी रूस ने भारत का साथ दिया है। पीएम मोदी ने अपने लेख में यह भी लिखा है कि भारत और रूस विश्व की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं।

रूस की मदद से भारत ने 1975 में अपना पहला सैटेलाईट आर्यभट्ट लॉन्च किया था। रूस के सुयोज T-11 अंतरिक्ष यान से 1984 में भारत के विंग कमांडर राकेश शर्मा ने पहली बार अन्तरिक्ष में उड़ान भरी थी। रूस रक्षा के क्षेत्र में हमेशा से ही भारत का सहयोग करता आया है। समय-समय पर भारत और रूस के बीच सैन्य अभ्यास होता रहता है। रूस के साथ मिलकर भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण किया। भारत के पास अधिकतर रूस निर्मित हथियार ही हैं।

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