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प्रशासन ने रथयात्रा निकालने की नहीं दी इजाज़त, तो बच्चों ने अपने हिसाब से निकाली रथयात्रा…

खरियार में बच्चों ने अनोखे ढंग से निकाली रथयात्रा। तस्वीरें देखकर आप भी हो जाएंगे इन बच्चों के क़ायल...

भगवान जगन्नाथ जी के स्मरण में निकाली जाने वाली जगन्नाथ यात्रा हिन्दू धर्म का बेहद प्रसिद्ध पर्व है। हर साल पुरी (उड़ीसा) में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशाल आयोजन होता है। इतना ही नही यह आयोजन उड़ीसा के दूसरे जिलों सहित देश के अन्य हिस्सों और विदेशों में भी किया जाता है, लेकिन पिछले वर्ष की भांति इस बार भी पुरी में बीते दिन कल लगातार दूसरी बार बिना श्रद्धालुओं की उपस्थिति के भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई।

jagannath puri rath yatra

इतना ही नहीं पूरी रथयात्रा के मद्देनजर जिला प्रशासन ने रविवार रात आठ बजे से ही दो दिन के लिए कर्फ्यू लागू लगा दिया था। वहीं बीते दिन कल पवित्र रथों को अपराह्न क़रीब तीन बजे रवाना किया गया।

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प्रशासन ने श्री जगन्नाथ मंदिर से श्री गुंडिचा मंदिर के बीच तीन किलोमीटर लंबे ‘ग्रांड रोड’ पर रथयात्रा के मद्देनजर प्रतिबंध लागू कर दिया था। जहां चिकित्सा आपातकाल के अलावा अन्य सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई। कोविड महामारी के वर्तमान हालात के मद्देनजर इस वार्षिक धार्मिक आयोजन के सहज संचालन के लिए कम से कम 65 दस्तों की तैनाती भी की गई। वहीं प्रत्येक दस्ते में 30 जवान शामिल रहें।

odisha khariar rathyatra

बता दें कि भले ही इस साल कोरोना गाइडलाइंस के चलते लाखों की संख्या में श्रद्धालु रथ यात्रा में भाग नहीं ले पा रहें, लेकिन कोरोना काल के बीच भी रथयात्रा को लेकर लोगों में ग़ज़ब का संचार देखा जा रहा है। जी हां ऐसा ही कुछ दृश्य देखने को मिला। उड़ीसा राज्य के नुआपाड़ा ज़िले के खरियार में। जहां बच्चों में रथयात्रा को लेकर एक अलग तरीक़े का ही उमंग और उत्साह कोरोना काल के बीच देखने को मिल रहा है।

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आप भी तस्वीरों में देख सकते हैं कि ‘आभाष साहू’ नाम के बच्चे के नेतृत्व में कैसे आसपास के सभी बच्चें रथयात्रा को लेकर उत्सुक नज़र आ रहें है। बच्चों ने अपने परिजनों की मदद से बाकायदा एक रथ भी तैयार करवाया। भले ही यह रथ एक खिलौने नुमा गाड़ी हो, लेकिन रथयात्रा को लेकर इन बच्चों में अद्भुत उत्साह और उमंग दिख रही।

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जिसे सिर्फ़ शब्दों में बयाँ कर पाना काफ़ी कठिन हो जाता है। तस्वीरें स्पष्ट गवाही दे रही कि ये बच्चें ठीक उसी प्रकार रथयात्रा निकाल रहें। जैसे कि जगन्नाथपुरी में रथयात्रा निकलती है। रथ के भीतर इन बच्चों ने अपने आराध्य देव को सजाया है। उनका भलीभांति रूप से श्रृंगार करके उन्हें रथ में विराजमान किया है। फ़िर रथयात्रा निकाली जा रही है।

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तस्वीरों में हम यह भी देख सकते है कि रथयात्रा को लेक बच्चों के प्रेम को देखकर बडे भी अपने आपको रोक नहीं पा रहें हैं और वह भी बच्चों द्वारा आयोजित इस रथयात्रा में शामिल हो रहें हैं। तस्वीर में आप साफ़-साफ़ देख पा रहें है कि कैसे बच्चों के इस रथयात्रा का मनोबल बढ़ाने के लिए बड़े-बुजुर्ग भी इसका हिस्सा बन रहे।

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भारतीय संस्कृति का ही अद्भुत स्वरूप है कि कोई भी छोटा बड़ा पर्व हो। यहां सब बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक बड़े उत्साह से उसे मनाते है। जो अलौकिक दृश्य इन तस्वीरों में भी देखने को मिल रहा। बच्चों का इस तरीक़े से रथयात्रा मानना यह साबित करता है कि मुसीबतें कितनी भी बड़ी क्यों न हो, लेकिन हम भारतीय मुस्कुराने और खुशियों को मनाने का कोई न कोई तरीक़ा अवश्य ढूढ़ लेते हैं।

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दस दिन तक चलती है जगन्नाथपुरी की रथयात्रा…

बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ही भव्य उत्साह के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा निकाले जाने का विधान है। इस वर्ष 2021 में यह पावन यात्रा 12 जुलाई, सोमवार से आरंभ हुई और इसका समापन 20 जुलाई, मंगलवार को देवशयनी एकादशी के पर्व के साथ ही पूरे विधि-विधान अनुसार किया जाएगा।

इस दौरान भगवान की यात्रा के लिए रथ बनाने के कार्य का आरंभ अक्षय तृतीया यानी 15 मई 2021 से ही चल रहा था। भगवान जगन्नाथ की ये यात्रा लगभग दस दिनों तक चलती है, जिसमें प्रथम दिन भगवान जगन्नाथ को गुंडिचा माता के मंदिर लेकर जाया जाता है। लेकिन इस बार भी कोरोना की वज़ह से सामान्य वर्षों की तरह रथयात्रा नही निकल रही, जिस वज़ह से लोग अपने-अपने तरीक़े से अपने आराध्य की रथयात्रा निकाल रहें हैं।

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