राजनीति

दिलचस्प है रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की कहानी, जानिए पेंसिल्वेनिया से रेलमंत्री बनने तक का सफ़र…

यूँ ही अश्विनी वैष्णव को नहीं बनाया गया है रेल मंत्री। काफ़ी योग्य और इस पूर्व प्रधानमंत्री के सचिव रह चुके है वैष्णव...

Ashwini Vaishnav

मोदी 2.0 के मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान कई फ़ैसले चौंकाने वाले रहें, लेकिन उनमें से भी सबसे ज़्यादा आश्चर्य में डालने वाला जो फैसला रहा। वह एकाएक पूर्व आईएएस (IAS) अश्विनी वैष्णव को रेलमंत्री बनाया जाना रहा। जबसे अश्विनी वैष्णव को मंत्रालय में शामिल किया गया है। लोगों की दिलचस्पी उनके बारे में जानने की बढ़ गई है। ऐसे में आइए जानते हैं कौन हैं अश्विनी वैष्णव और कैसे पहुँचें रेलमंत्री के पद तक…

Ashwini Vaishnav

बता दें कि पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव को पीएम मोदी द्वारा रेल और सूचना प्रौद्योगिकी जैसा अहम मंत्रालय दिया गया है। जो कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि प्रधानमंत्री की नजर पहले से ही उनके पूर्व में किए गए कामों पर थी। पूर्व आईएएस (IAS) अश्विनी वैष्णव आईआईटी कानपुर के छात्र रहने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव भी रह चुके हैं। यही नहीं उन्होंने पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है। वहीं हम आपको बता दें कि अश्विनी वैष्णव को ऐसे समय में मंत्री बनाया गया है जब रेलवे के राजस्व को बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीकों पर विचार किया जा रहा है। इसमें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल भी शामिल है। ख़ास बात यह है कि आईएएस रहते हुए अश्विनी वैष्णव को सबसे अधिक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी (PPP) फ्रेमवर्क में योगदान के लिए ही जाना जाता है।

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बता दें कि अश्विनी वैष्णव ने आईआईटी (IIT Kanpur) कानपुर से एमटेक (MTech) किया है। वो 1994 बैच के आईएएस (IAS) अधिकारी रहें हैं। इन्होंने ओडिशा के बालासोर और कटक जिले के डीएम के तौर पर काम किया था। साल 1999 में इन्होंने ओडिशा के तट पर आए भीषण चक्रवात के दौरान बेहतरीन कौशल का परिचय दिया था। बतौर आईएएस (IAS) वे वर्ष 2003 तक ओड़िशा में ही अपनी सेवा देते रहे। हालांकि इसके बाद उनकी सक्षमता को देखते हुए उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ऑफिस में उपसचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।

Ashwini Vaishnav

अश्विनी वैष्णव अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम करते हुए कई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी (PPP Framewok) को तैयार किया था। इसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री पद से हटे तो अश्विनी वैष्णव को उनका सचिव बनाया गया था।

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मालूम हो आईआईटी से एम टेक (MTeach) कर चुके अश्विनी वैष्णव ने 2008 में सरकारी नौकरी छोड़ दी और अमेरिका के व्हार्टन स्कूल, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय से एमबीए करने चले गए। उन्होंने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी या पीपीपी मॉडल तैयार करने में उत्कृष्ट भूमिका निभाई और गोवा बंदरगाह पर एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (Enterprise Resource Planning) software लागू किया।

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नौकरशाह से उद्यमी और फिर राजनेता बने वैष्णव ने General Electric and Siemens जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कई शीर्ष पदों पर कार्य किया और जीई ट्रांसपोर्टेशन के साथ प्रबंध निदेशक के रूप में काम किया।
उद्यमी होने के साथ ही अश्विनी वैष्णव राजनीति से भी जुड़े रहे और 2019 में बीजेपी ने उन्हें ओड़िशा से राज्यसभा भेजा। यहां तक कि उनकी उम्मीदवारी का राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी ने भी समर्थन किया था और वह निर्विरोध चुने गए थे।

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रेलमंत्री का प्रभार संभालने के बाद अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, “पीएम नरेंद्र मोदी का विजन रहा है कि रेलवे के जरिए आम लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया जाए। इससे आम आदमी, किसान, गरीब सभी को फायदा मिलना चाहिए। मैं उनके विजन को पूरा करने के लिए काम करूंगा।”


बता दें कि अश्विनी वैष्णव जबसे राज्यसभा के सदस्य बनें हैं। तभी से वह अपनी स्पष्टवादी सोच से विपक्षियों को नतमस्तक किया है। वह एक स्पष्ट वक्ता भी है और किसी भी मुद्दे पर अपना विचार रख सकते है। साथ ही साथ कुशल प्रबंधन का गुण इनमें पहले से ही है। जिसके बदौलत प्रधानमंत्री ने अश्विनी वैष्णव को रेल मंत्रालय जैसा बड़ा मंत्रालय दिया है। ऐसे में अब यह देखना होगा कि मंत्रिमंडल में मोदी के भरोसे को कायम रखने में अश्विनी कितने कारगर होते हैं, क्योंकि अभी तक के सफर में उन्होंने भरोसे को टूटने को नहीं दिया। जिसके कारण प्रधानमंत्री मोदी ने उनपर भरोसा जताया और मंत्रिमंडल में जगह देकर उनके अभी तक के किए गए काम को सराहा है।

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