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शरीर पर झेली 9 गोलियां, कोरोना को भी दी मात, रुला देगी भारत माँ के सपूत चेतन चीता की शौर्य गाथा

हम अपने घरों में चैन और सुकून की नींद लेते है और वो सीमा पर खड़े होकर भारत मां के दामन का रंग लाल होने से बचाते है. सीमाओं पर वो पहरा देते है. चाहे कोई भी मौसम हो, कैसी ही परिस्थितियां भारत मां के लाल कभी पीठ नहीं दिखाते हैं. हमारे सैनिक, हमारी आन, बान और शान है. कहते हैं कि देश सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं होता है. जो जवानी, जो लहू वतन के काम आता है उस पर तो भगवान भी नाज करता है. अनेकों जवानियाँ अब तक वतन पर कुर्बान हुई है. सैनिकों के बलिदान की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है.

दुश्मन से सीमा पर लड़ने लिए साहस और जिगर की आवश्यकता होती है और इनकी हमारे सैनिकों में कोई कमी नहीं है. हमारे सैनिक जंग में सीना चौड़ा करके खड़े होते है और दुश्मन की गोली आने पर भी वे पीठ नहीं दिखाते है और मौत को भी मात देते है. ऐसे ही एक जांबाज सैनिक हैं कीर्ति चक्र (Kirti Chakra) से सम्मानित चेतन चीता मीणा (Chetan Cheetah Mina). जहां लोगों का बंदूक या गोली नाम सुनकर ही तन मन थर्राने लगता है वहीं भारत मां का यह सपूत गोलियों से छलनी होने के बाद भी मां भारती के लिए तैयार खड़ा है. वो अब भी देश के प्रति समर्पित है. आइए जानते हैं कि आखिर कौन है बहादुर सैनिक चेतन चीता मीणा (Chetan Cheetah Mina).

chetan cheeta

जानकारी के मुताबिक़, चेतन चीता मीणा (Chetan Cheetah Mina) को देश के लिए दिए गए उनके योगदान हेतु कीर्ति चक्र (Kirti Chakra) से सम्मानित किया जा चुका है. वे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कमांडिंग ऑफिसर हैं, जो कश्मीर में बांदीपुरा में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. दुश्मनों को ईंट का जवाब उन्होंने पत्थर से दिया था. आतंकियों से मुठभेड़ में चेतन चीता (Chetan Cheetah) ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी. आतंकियों से लड़ते हुए उन्होंने शरीर पर 9 गोलियां झेली थी.

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बता दें कि, कुछ सालों पहले वे 14 फरवरी को अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए आतंकियों की तलाश में निकले थे. आतंकियों की तलाश में वे और उनकी टीम रात में 3:30 बजे निकली थी. इस दौरान कश्मीर के बांदीपुरा में आतंकियों से उनका सामना हुआ. भारतीय जवानों ने आतंकियों को करारा जवाब दिया और तीन आतंकियों को ढेर कर दिया. जबकि भारत मां का एक सपूत भी इस मुठभेड़ में अपने प्राण त्याग गया.

9 गोली लगने के बाद भी लड़ते रहे…

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आतंकी मुठभेड़ में आतंकियों ने भारतीय जवानों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी और इस फायरिंग में चेतन चीता बहुत गंभीर रुप से घायल हो गए थे. बताया जाता है कि उन्हें साथ 9 गोलियां लगी थी. उन्हें दुश्मनों की गोलियां ब्रेन, दाईं आंख, दोनों हाथ, पेट और कमर के पिछ्ले हिस्से में लगी थी. लेकिन भारत मां के इस लाल का जज्बा और जोश तो देखिए 9 गोली लगने के बाद भी उन्होंने आतंकियों पर 16 राउंड गोलियां चलाई और 2 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया.

अब भी देश सेवा का जज्बा कायम…

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आतंकी मुठभेड़ में चेतन चीता की एक आंख को नुकसान पहुंचा है. वे अब भी देश के प्रति समर्पित है और उनके अंदर देशभक्ति का जज्बा बरकरार है. गौरतलब है कि, 45 साल के चेतन चीता (Chetan Cheetah) कोरोना से भी संक्रमित हो गए थे, लेकिन वे इस अदृश्य शत्रु को हराने में भी कामयाब रहे और स्वस्थ होकर अपने घर लौट आए.

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