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बेटी को मरने गोबर के ढेर में फेंक गई मां, फिर भगवान ने फरिश्ता भेज ऐसे बचाई जान

आज के जमाने में लड़कियां भी हर काम में लड़कों से बराबर है। जब माता पिता की देखरेख और उन्हें संभालने की बात आती है तो लड़कियां लड़कों से कई ज्यादा आगे रहती है। इसलिए वर्तमान में बेटा और बेटी के बीच फर्क करना बेवकूफी होती है। हमे इनके बीच कभी भी कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। लेकिन कुछ लोग आज भी पिछड़ी हुई मानसिकता के साथ जी रहे हैं। बेटी पैदा होने पर वह उसे बोझ मानते हैं। बेटी को हिंदू धर्म में लक्ष्मी का रूप भी कहा जाता है। लेकिन ये कम अक्ल लोग लक्ष्मी समान इस बेटी को पैदा होते ही या तो मार देते हैं या कहीं मरने के लिए लवारिस छोड़ देते हैं।

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अब हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई उपमंडल की इस शर्मनाक घटना को ही ले लीजिए। यहां एक मां ने अपनी नवजात बेटी को पैदा होते ही गोबर के ढेर में फेंक दिया। लेकिन वह कहते हैं न ‘जाको राखे साईंया मार सके ना कोय’ मतलब जिसके ऊपर ईश्वर का हाथ होता है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। बस ऐसा ही इस नवजात बच्ची के साथ भी हुआ। उसकी किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि वह मौत के मुंह में जाने की बजाय ज़िंदगी के नए सफर पर निकल पड़ी।

दरअसल ये पूरा मामला मंगलवार सुबह का है। यहां रोनहाट उपतहसील की शंखोली पंचायत के कमियारा (खड़काह) नामक स्थान पर एक शख्स खेत में काम करने जा रहा था। तभी उसे गोबर के ढेर में से अजीब सी आवाज सुनाई दी। पहले तो वह यह आवाज सुनकर डर गया। लेकिन फिर उसने हिम्मर दिखाई और नजदीक गया। यहां गोबर के ढेर में एक नवजात बच्ची को देख उसके होश उड़ गए। उसने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी।

mother threw girl child in dung heap then police saved her life

इस मामले को पुलिस ने भी गंभीरता से लिया। वह सीएचसी रोनहाट में तैनात डॉक्टर को लेकर तुरंत मौके पर आ गई। यहां डॉक्टर ने बच्ची को प्राथमिक उपचार दिया और फिर उसे आगे के इलाज के लिए 108 एंबुलेंस द्वारा सिविल अस्पताल शिलाई भेज दिया गया। यहीं उसकी देखरेख भी की जाएगी। फिलहाल बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है। डाक्टरों को उम्मीद है कि वह जल्द ही स्वस्थ हो जाएगी।

उधर पुलिस इस बात का पता लगाने में लगी है कि किस मां ने अपनी नवजात बेटी को मरने के लिए गोबर के ढेर में छोड़ दिया। शिलाई पुलिस थाना के प्रभारी मस्त राम ठाकुर ने इस पूरे मामले की पुष्टि की है। उन्होंने ये भी बताया कि पुलिस की पहली प्राथमिकता बच्ची की जान बचाना है। लेकिन हम इस मामले की गहराई से छानबीन भी कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि बच्ची को लावारिस छोड़ने वाली मां का पता जल्द से जल्द लगा लिया जाएगा।

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बताते चलें कि इसके पहले रोनहाट अस्पताल एक और मामला सामने आ चुका है। तब एक विवाहित लड़की ने अस्पताल के शौचालय में एक नवजात बछके को जन्म देकर उसे खिड़की से बाहर फेंक दिया था। तब भी पुलिस फरिश्ता बनकर आई थी और बच्चे की जान बचाई थी। ये काफी शर्मनाक बात है कि आज भी लोग बेटी होने पर उसे फेंक देते हैं।

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