बॉलीवुड

एक तरफ़ा प्यार में कंगना की बहन के चेहरे पर फेंका था 1 लीटर तेजाब, ऐसा था पूरा वाकिया

-कंगना ने बताया उनकी बहन रंगोली पर फेंका गया था 1 लीटर तेजाब, योग की मदद से लौटी उनकी रोशनी
-कंगना ने बताई योग की इम्पोर्टेंस, उनकी बहन रंगोली को सदमे से बाहर निकलने में की थी मदद

आज दुनिया भर में विश्व योग दिवस (World Yoga Day) मनाया जा रहा है. सभी देशों में इसकी धूम है कोरोना के कारण लोगों को इसकी इम्पोर्टेंस भी पता चल गई है. इसके साथ ही बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट (Kangana Ranaut) ने अपनी बहन रंगोली चंदेल पर 21 साल की उम्र में हुए एसिड अटैक के बारे में भी जिक्र किया है. कंगना के मुताबिक इस हादसे के बाद उनकी बहन इतना डर गई थी कि उन्होंने सभी से बात तक करना बंद कर दिया था. उन्होंने यहाँ योग की बात छेड़ते हुए बताया कि इस हादसे से उबरने में योग ने रंगोली की बहुत मदद की थी.

kangana ranaut sister rangoli acid attack

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इसके साथ ही कंगना ने बताया कि योग की वजह से ही उनकी मां की ओपन हार्ट सर्जरी भी नहीं करनी पड़ी थी. उस एसिड अटैक से उनकी बहन का आधा चेहरा, बायां कान, आंख और ब्रेस्ट तक झुलस गए थे. योग दिवस के अवसर पर इस विवादित एक्ट्रेस ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए अपनी बहन की आपबीती बताई. उन्होंने लिखा, जब रंगोली 21 साल की थी तो एक मनचले ने उस पर एसिड से अटैक कर दिया था. इस हादसे से रंगोली का एक तरफ का चेहरा झुलस गया, एक आंख की रोशनी चली गई, बायां कान भी जख्मी हो गया था. इसके अलावा उसका एक ब्रेस्ट गंभीर रूप से डैमेज हो गया था.

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इस हादसे के बाद उसे 2-3 साल में लगभग 53 सर्जरी से गुजरना पड़ा था. लेकिन इसके बाद भी सबकुछ पहले जैसा नहीं हुआ. उस मनचले ने रंगोली पर करीब एक लीटर तेजाब फेंका था. मैं इस हादसे के बाद सबसे ज्यादा फिक्रमंद उसकी मेंटल हेल्थ को लेकर थी, क्योंकि उसने सभी से बात करना बंद कर दी थी. वह एक भी शब्द नहीं बोलती थी. वह बस घूरती रहती थी. उसकी एक एयर फाॅर्स के ऑफिसर से सगाई हो गई और जब उस(अधिकारी) ने तेज़ाब के बाद उसका चेहरा देखा तो उसे छोड़कर चला गया और वापस लौटकर कभी नहीं आया.

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कंगना ने बताया कि, उस समय भी मेरी बहन रंगोली ने आंसू नहीं बहाए और ना ही किसी से कुछ कहा. इस पर डॉक्टर ने मुझे बताया कि वह एक गहरे सदमे में है. उन्होंने उसे थैरेपी दीं और साइकोलॉजिकल सपोर्ट के लिए मेडिटेशन भी कराया. हालांकि उसे उससे भी आराम नहीं मिला. कंगना ने बताया कि मैं उस समय 19 वर्ष की ही थी, मैं अपने टीचर सूर्यनारायण के साथ योग करती थी. उस समय मुझे नहीं पता था कि योग की मदद से जलने, मनोवैज्ञानिक आघात और रेटिना ट्रांसप्लांट के बाद आंखों की रोशनी आने में भी मदद होती है.

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कंगना ने कहा कि, मैं चाहती थी कि वो मुझसे बात करे. इसलिए मैं उसे हर जगह अपने साथ ही ले जाया करती थी. मैं उसे योग क्लास भी ले जाया करती थी. इसके बाद उसने भी योग करना शुरू कर दिया. देखते ही देखते तेजी से उसके अंदर बदलाव आने लगा. इस दौरान वह मुस्कुराने लगी और उसकी एक आँख की रोशनी भी लौट आई. योग के पास हर सवाल का जवाब है.

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