अध्यात्म

असली बाप के अलावा ये 4 चार लोग भी होते हैं आपके पिता, इन्हें देना चाहिए मान सम्मान

किसी भी बच्चे के जीवन में एक पिता बहुत अहम भूमिका निभाता है। वह आपको जीवन जीने का सही तरीका बताता है। आपके अच्छे भविष्य के लिए कड़ी मेहनत करता है। खुद तकलीफ में हो लेकिन आप पर दुख के बदल नहीं छाने देता है। वह जीवन के हर मौड़ पर आपकी रक्षा करता है। आपको पालपोष कर आपके पैरों पर खड़ा करता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो एक पिता आपके जीवन को संवारने का काम करता है। इसलिए आपका भी फर्ज बनता है कि आप अपने पिता को पुरा मान सम्मान दें। उसका आदत सत्कार करें।

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पिता को लेकर आचार्य चाणक्य ने भी अपने नीतिशास्त्र में कुछ अहम बातें की थी। गौरतलब है कि आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र, कूटनीति और राजनीति में माहिर थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण शास्त्र लिखे, इनमें नीतिशास्त्र की बातें आज भी रियल लाइफ में लागू होती हैं। इस नीतिशास्त्र में चार ऐसे लोगों का जिक्र है जिन्हें पिता के समान मान सम्मान दिया जाना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि ये चार लोग कौन कौन से हैं।

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ज्ञान की बरसात करने वाला गुरु

नीतिशास्त्र की माने तो एक शिष्य को अपने गुरु को हमेशा पिता की तरह मानना चाहिए। उसे वह सारे मान सम्मान दिए जाने चाहिए जिसका वह हकदार होता है। पिता दिनरात मेहनत कर पैसों से आपके भविष्य को बेहतर बनाने की कोशिश करता है। वहीं गुरु ज्ञान के माध्यम से आपका भविष्य उज्वल बनाता है। ज्ञान एक बहुत बड़ी चीज होती है। इसके बल पर आप जीवन की कई समस्याएं हल कर सकते हैं, पैसे कमा सकते हैं और मुसीबतों का सामना भी कर सकते हैं। ये ज्ञान जीवन में आपको सफलता की राह दिखाता है।

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यज्ञोपवीत कराने वाला पुरोहित

धार्मिक ग्रंथों में 16 संस्कारों का जिक्र है जिसमें यज्ञोपवीत सबसे अहम संस्कार है। इसमें व्यक्ति का एक प्रकार से दूसरा जन्म होता है। इसलिए जो पुरोहित आपका यज्ञोपवीत कराता है वह पिता के समान होता है। इसलिए नीतिशास्त्र में यज्ञोपवीत करवाने वाले पुरोहित को पिता के समान मान सम्मान देने की बात कही गई है। इससे उसके द्वारा किया गया यज्ञोपवीत सफल होता है। इसलिए अपना यज्ञोपवीत कराने वाले पुरोहित को अपने पिता का दर्जा देना न भूलें।

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घर से दूर आपका ख्याल रखने वाला

कई लोगों को अपनी पढ़ाई या काम के सिलसिले में घर से दूर परदेस में रहना पड़ता है। ऐसे में यहां जो व्यक्ति आपके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था का ध्यान रखता है वह पिता के समान होता है। ये अंजान शख्स एक अंजान जगह पर आपकी जरूरतों का ख्याल रखता है। आपको खाने को भोजन और रहने को घर देता है। इसके साथ ही मुसीबत आने पर आपकी पिता की तरह ही सहायता भी करता है। इसलिए यह आपका भी फर्ज बनता है कि आप ऐसे व्यक्ति को पिता का दर्जा देकर उसे खास महसूस करवाएं, उसका पूर्ण मान सम्मान करें।

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मुसीबत में जान बचाने वाला

यदि कोई व्यक्ति संकट में आपके प्राण बचा लें तो वह पिता के समान होता है। असली पिता भी अपने बच्चे की सुरक्षा का ख्याल रखता है। ऐसे में आपकी जान बचाने वाले को भी पिता बोलना गलत नहीं होगा। आप उसे वैसा ही सम्मान दें।

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