राजनीति

NSG की सदस्यता पाने के लिए नई रणनीति पर चला भारत, क्या इस तरह से मान जायेगा चीन?

परमाणु प्रदाता समूह का हिस्सा बनने के लिए भारत एक बार फिर जोर लगाने वाला है, इसबार भारत नए तरीके से सदस्यता पाने का प्रयास कर रहा है, भारत की तमाम कोशिशों के बाद भी दगाबाज चीन अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल करके भारत को परमाणु प्रदाता समूह यानी कि एनएसजी की सदस्यता मिलने से रोक देता है. चीन पहले कई बार भारत के रास्ते में अडंगा लगा चुका है, एनएसजी की सदस्यता मिलने के बाद भारत को परमाणु उत्पादन और अन्य देशों को उसकी सप्लाई का अधिकार मिल जायेगा.

समर्थन पाने के लिए अब भारत रूस की मदद लेगा :

India-Russia S-400 missile system deal

आपको बता दें कि भारत अब इसके लिए दूसरा तरीका अपनाने जा रहा है, चीन का समर्थन पाने के लिए अब भारत रूस की मदद लेगा. भारत चाहता है कि रूस इस काम में हमारी मदद करे. इसके लिए रूस अपने खास दोस्त चीन को मनाये. मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि अगर रूस भारत को सदस्यता दिलाने के लिए चीन से बातचीत नहीं करेगा तो भारत कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की 5वीं और 6वीं रिएक्टर यूनिट से जुड़े समझौते से पीछे हट सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत को लगता है कि रूस भारत को एनएसजी सदस्यता दिलाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है.

भारत को लगता है कि रूस इस मामले में लापरवाही भरा रुख अख्तियार कर रहा है, वहीँ रूस में भी माना जा रहा है कि भारत अपने इन्हीं उद्देश्यों के चलते परमाणु रिएक्टर से जुड़े समझौतों में देरी कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते दिनों पीएम मोदी और रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन ने इन परमाणु रिएक्टर संबंधी समझौतों के लिए मुलाकात की थी पर भारत की तरफ से इस मुद्दे पर कुछ भी साफ नहीं किया गया. वहीं अगले महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पीएम मोदी से मिलने वाले हैं और रूस इस मुलाकात से पहले इस सम्बन्ध में समझौते को पक्का करना चाहता है.

मगर भारत ने इसके इतर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, रूस इन समझौतों से पहले एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए भारत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बने चीन को मनाये, क्योंकि चीन की ही वजह से भारत अभी तक एनएसजी का सदस्य नहीं बन पाया है. भारत ने इस मुद्दे पर चीन से बात की है मगर चीन के रुख में भी कोई खास बदलाव नहीं दिखा है.

आपको बता दें कि भारत और चीन के रिश्तों के बीच पहले ही काफी खटास आ चुकी है, दलाई लामा के मुद्दे पर चीन भारत से नाराज है तो चीन की महत्वाकांक्षी योजना वन रोड वन बेल्ट से भारत नाखुश, और भारत ने चीन की उस योजना से जुडी बैठक का हिस्सा बनने से भी इंकार कर दिया है, दूसरी तरफ रूस और भारत के बीच भी अब पहले जैसे सम्बन्ध नहीं रहे हैं.

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