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टिकैत ने दी चेतावनी- ये सरकार कृषि कानून वापस लेगी और यह कानून फांसी का फंदा साबित होंगे

नई दिल्ली : भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है और सरकार को साफ़ शब्दों में चेतावनी दी है. गौरतलब है कि, बीते 6 माह से भी अधिक समय से राकेश टिकैत किसानों के हक़ में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं और एक बार फिर से उन्होंने किसानों के लिए आवाज़ उठाई है.

rakesh tikait

किसान नेता टिकैत ने सोशल मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा प्रहार किया है. हाल ही में राकेश ने एक ट्वीट किया है, जिसके चलते वे सुर्ख़ियों में आ गए है. अपने इस ट्वीट में उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ”देश की सत्ता अपने ख़िलाफ़ एक शब्द को बर्दाश्त नहीं कर रही, लेकिन यही सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी और MSP पर कानून भी बनाएगी.


किसान नेता राकेश टिकैत का यह भी मानना है कि, केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों नए कृषि कानून सरकार के लिए ही फांसी का फंदा साबित होंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि, किसान आंदोलन जब तक चलता रहेगा जब तक ये तीनों काले कृषि कानून सरकार रद्द नहीं कर देती है.

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बुधवार को किए गए राकेश टिकैत के इस ट्वीट पर अब तक ढेरों लोगों ने प्रतिक्रिया जाहिर की है. कई लोग राकेश टिकैत के समर्थन में नज़र आए हैं, तो वहीं कई लोगों ने सरकार का भी समर्थन किया है. अब तक कई ट्विटर यूजर्स राकेश के ट्वीट को रीट्वीट कर चुके हैं.

इकबाल नामक ट्विटर यूजर ने टिकैत के ट्वीट पर कमेंट में लिखा कि, ”या तो हिटलर रहेगा या किसान. किसान कल भी था, आज भी है और कल भी रहेगा. लेकिन यह तो सबको पता है कि हिटलर आज कहां है और उसको आज किस रूप में याद किया जाता है, यह भी सब जानते हैं, धैर्य रखो.”

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वहीं ह्यूमन नाम के एक यूजर ने कमेंट किया कि, ”आप भी अब धार्मिक क्रिया की तरह सुबह सुबह सरकार के खिलाफ बस एक ट्वीट करके सो जाते हैं.” एक सुरेंद्र नाम के यूजर ने सवाल करते हुए लिखा कि, ”क्या ये सरकार हम किसानों की बातें मानेंगी ? वहीं प्रशांत नाम के यूजर ने लिखा कि, ”पता घंटे का नहीं और बातें न्यूक्लियर पावर की करनी है.”

farmers protest

गौरतलब है कि, बीते 6 माह से भी अधिक समय से किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन जारी है. किसानों की मांग है कि, सरकार कृषि कानून वापस लें, जबकि सरकार ने साफ इंकार कर दिया है कि किसी भी हाल में कानून वापस नहीं होंगे.

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