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जब त्रिमूर्ति भवन “नेहरू भवन” नहीं कहलाया फिर सेन्ट्रल विस्टा “मोदी महल” कैसे हो गया

कोरोना वायरस की भयावह दूसरी लहर से जूझ रहे देश में सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर लगातार विवाद की स्थिति बनी हुई है। विपक्ष लगातार सेंट्रल विस्टा को लेकर मोदी सरकार को घेर रही है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने इसे लेकर सवाल उठाया है। बता दें कि बीते दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा को आपराधिक बर्बादी करार दिया था। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था कि, “लोगों की जान केंद्र में रखिए, न कि नया घर पाने के लिए अपनी अंधी हेकड़ी।”


ऐसे में हम आपको बता दें कि अब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पलटवार करते हुए विपक्ष को घेरा है। उन्होंने कहा कि यूपीए की सरकार के दौरान कांग्रेस नेताओं ने संसद के नए भवन की जरूरत को लेकर चिट्ठियां लिखी थी। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जिस तीन मूर्ति भवन में रहते थे, उसे उनके नाम से स्मारक बना दिया गया। सफदरजंग के जिस घर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रहती थी, वह उनकी याद में स्मारक बन गया। आज भी जिस घर में सोनिया गांधी रहती हैं, उसे कभी भाजपा ने गांधी महल नहीं कहा। लेकिन विपक्ष उस प्रस्तावित आवास को मोदी महल बता रहा है, जिसका निर्माण भी शुरू नहीं हुआ।

hardeep puri

यहां एक बात तो निश्चित है कि विपक्ष बेजा की राजनीति करने में लगातार लगा हुआ है। उसकी अपनी राजनीतिक ज़मीन खिसकती जा रही है, लेकिन विपक्ष है कि सिर्फ़ लगातार मोदी नाम का ही विरोध कर रहा है। अब सोचिए जिस कोरोना काल में लोगों को रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा। उस दौरान सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क़रीब तीन हज़ार लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा। वह नहीं दिखता विपक्ष को। इतना ही नहीं जो भवन वर्षो से किराए पर चल रहा उससे बचने वाला फ़ायदा क्यों विपक्ष को नहीं दिखता। बात आगे बढ़ाएं तो आने वाले वर्षों में परिसीमन होगा तो सांसदों की संख्या भी बढेंगी। ऐसे में वर्तमान में जहां संसद चल रही वह भी छोटी पड़ेगी। यह विपक्ष क्यों दरकिनार कर रहा। सेंट्रल विस्टा के बनने से फ़ायदे कई हैं, लेकिन दुर्भाग्य देखिए विपक्ष सिर्फ़ अवसरवादी राजनीति कर रही। वैसे कोरोना के नाम पर कांग्रेस अपनी राजनीतिक ज़मीन तलाश रही। यहाँ एक बात तो पूर्णतः स्पष्ट है कि मोदी केवल प्रधानमंत्री रहते हुए ही उस भवन में बैठ सकते। फ़िर वह “मोदी महल” कैसे हुआ? या कहीं ऐसा तो नहीं विपक्ष मोदी को पूर्णकालिक प्रधानमंत्री मान चुकी है, सवाल यह भी उठ सकता। जिसका जवाब विपक्ष को देना चाहिए?

central vista project

वहीं सेंट्रल विस्टा परियोना के तहत बनने वाली संसद भवन की नई इमारत की बात करें। तो यह करीब 65,400 स्क्वायर मीटर में बनाई जाएगी और यह भव्य कलाकृतियों से युक्त होगी। इमारत एक तिकोना ढांचा होगा और इसकी ऊंचाई पुरानी इमारत जितनी ही होगी। इसमें एक बड़ा संविधान हॉल, सांसदों के लिए एक लाउन्ज, एक लाइब्रेरी, कई कमेटियों के कमरे, डाइनिंग एरिया जैसे कई कम्पार्टमेंट होंगे। बता दें कि इसके लोकसभा चैंबर में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा में 384 सीट होंगी। वही इस बात को विपक्ष क्यों भुला रहा कि नए संसद भवन के निर्माण की बात 2012 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने ही की थी। वह तो भाजपा से नही थी ना?

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