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कोरोना काल के बीच चक्रवात ताउते की दस्तक़, जानिए कैसे होता है चक्रवात का नामकरण?

चक्रवाती तूफानों का कैसे होता है नामकरण आइए जानते हैं!

इस वर्ष के पहले चक्रवाती तूफ़ान ने देश में दस्तक़ दे दी है। “ताउते” नामक इस चक्रवात को लेकर मौसम विभाग ने गुजरात और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों को अलर्ट जारी कर दिया है। ऐसी संभावना जताई जा रही कि यह चक्रवात मंगलवार तक गुजरात तट से टकरा सकता है। जिस वज़ह से गुजरात और दीव के समुद्र तटों की विशेष निगरानी रखी जा रहीं है।

वैसे, हरेक व्यक्ति साल में एकाध चक्रवात के बारे में सुनता ही है। यह भी हो सकता कि अगर किसी ने सातवीं-आठवीं में अच्छे से पढ़ाई की हो, तो उसे चक्रवात आने का वैज्ञानिक कारण भी पता हो, लेकिन शायद ही कईयों को यह बात पता होगी कि इन चक्रवातों का नामकरण कैसे और कौन करता है। ऐसे में आइए जानते हैं चक्रवात के नाम निर्धारित करने के पीछे का कारण और कौन करता है नाम का निर्धारण…

सबसे पहले जानते हैं कि कैसे इस वर्ष आने वाले चक्रवात का नाम पड़ा “ताउते”। इसके पीछे भी एक लंबी कहानी है। गौरतलब हो कि ताउते नाम म्यांमार ने दिया है। यह एक बर्मी शब्द है, जिसका अर्थ होता है- “अधिक शोर करने वाली छिपकली।”

13 देशों ने दिए 169 नाम
चक्रवातों का नाम विश्व मौसम विभाग, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया व प्रशांत (डब्ल्यूएमओ/ईएससीएपी) पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (पीटीसी) द्वारा किया जाता है। इस पैनल में 13 देश हैं। इनमें भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन शामिल हैं। ये देश तूफान के नामकरण का सुझाव देते हैं। पिछले साल हरेक देश ने 13 नाम सुझाए थे। इसके चलते चक्रवातों के 169 नामों की फेहरिस्त बनी थी।

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गौरतलब हो कि इसके पहले 2004 में इस समूह में 8 देश शामिल थे। जिन्होंने कुल 64 नामो की सूची सौंपी थी। उस सूची का अंतिम नाम बीते वर्ष भारत मे आया “अम्फान” चक्रवात था। जिसके बाद फ़िर से 169 नामों की सूची बनाई गई है। जो बारी-बारी से आने वाले चक्रवातों के नामकरण में सहायक होंगे।

वहीं इस सूची में पहला नाम “निसर्ग” का है। जो अरब सागर से उठा था। इसका नाम बांग्लादेश ने रखा था। नामकरण के लिए बारी-बारी से अलग देश का नंबर आता है। गौरतलब हो कि चक्रवातों के नाम रखने के पीछे कई कारण होते हैं। जैसे दो चक्रवात एक साथ आए तो भ्रम की स्थिति न बनें आदि। इतना ही नहीं चक्रवातों का नाम सरल और छोटा रखा जाता है। साथ ही साथ यह भी ध्यान दिया जाता है कि यह नाम सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील और भड़काऊ अर्थ वाला न हो।

ऐसे चलती है नामकरण की प्रक्रिया


चक्रवातों के नामकरण की प्रक्रिया की बात करें तो नामकरण करने वाली समिति में शामिल देश जो नामों की सूची देते हैं, उनको समिति में शामिल देशों के अल्फाबेट के हिसाब से नामों को सूचीबद्ध किया जाता है। जैसे अल्फाबेट के हिसाब 13 देशों की सूची में सबसे पहले नाम बांग्लादेश का और फिर भारत का आता है। उसके बाद ईरान व अन्य देशों का नाम। फ़िर उसी आधार पर सुझाए गए नाम पर चक्रवात का नामकरण किया जाता है।

बीते वर्ष अप्रैल में 169 नाम जो 13 देशों ने सुझाएँ हैं। इस सूची में भारत की ओर से दिए नामों में गति, तेज, मुरासु (जो कि एक तमिल वाद्य यंत्र है), आग, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलाधि और वेग शामिल है। वहीं बीते कुछ वर्षों में आएं ऐसे चक्रवातों की बात करें कि उनके नाम किन देशों ने दिए थे तो चक्रवात “हेलेन” का नाम बांग्लादेश ने, “नानुक” का म्यांमार ने, “हुदहुद” का ओमान ने दिया था। इसके अलावा हाल में बंगाल की खाड़ी में आएं चक्रवात  “तितली” का नाम पाकिस्तान ने दिया।

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