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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ICMR ने बदले RT-PCR टेस्ट के नियम, जाने क्या कहती है नई गाइडलाइन

देश इस समय कोरोना वायरस की दूसरी लहर से परेशान है। ऐसे में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अपने RT-PCR टेस्ट को 70 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए कहा था। लेकिन अब बढ़ते कोविड-19 केसों को देखते हुए Indian Council of Medical Research (आईसीएमआर – ICMR) ने एक नई गाइडलाइन जारी की है। यह नई गाइडलाइन जारी करने का मकसद विशेष परिस्थितियों में RT-PCR टेस्ट को कम कर के लैबॉरेटरीज़ पर से एक्स्ट्रा बोझ कम करना है।

ICMR की इस नई गाइडलाइन के अनुसार हमे RT-PCR टेस्ट नहीं करना चाहिए यदि –

– कोई शख्स रैपिड ऐन्टिजन टेस्ट (rapid antigen test) में पॉजिटिव आया हो।

– कोई व्यक्ति RT-PCR टेस्ट में एक बार पॉजिटिव निकल चुका हो।

– कोई व्यक्ति होम आइसोलेशन (home isolation) का दस दिन का पीरियड पूरा कर चुका है और उसे पिछले तीन दिनों से कोई बुखार न आया हो।

– कोई मरीज हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुआ हो।

– कोई स्वस्थ व्यक्ति जो देश में लोकल यात्रा कर रहा हो। वैसे यह नियम राज्यों द्वारा लागू किया गया है लेकिन ICMR का कहना है कि इस नियम को पूरी तरह से हटाया जा सकता है जिससे लैबॉरेटरीज़ पर लोड कम हो जाएगा।

वर्तमान में भारत नेशनल लेवल पर 2,506 मोलेकुलर टेस्टिंग लैबॉरेटरीज़ (molecular testing laboratories) में करीब 15 लाख टेस्ट कर सकता है। इन लैबॉरेटरीज़ में RT-PCR, TrueNat, CBNAAT सहित कई अन्य प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं। लेकिन अभी दिक्कत ये हो रही है कि कोरोना पॉजिटिव केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसमें अचानक से उछाल आया है। ऐसे में RT-PCR सहित कई अन्य टेस्ट बड़ी संख्या में पॉजिटिव निकल रहे हैं। इससे लैबॉरेटरीज़ पर लोड अचानक से बहुत बढ़ गया है। ऐसे में वर्तमान में RT-PCR टेस्ट करवाने के बाद इसका रिजल्ट आने के लिए करीब 72 घंटे इंतजार करना पड़ता है।

इसके अलावा आईसीएमआर ने रैपिड टेस्ट पर जोर देने की बात भी कही है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में एंटीजन टेस्ट होने चाहिए। इसके अतिरिक्त बाजारों, RWA जैसी जगहों पर भी कोरोना का रैपिड टेस्ट होना चाहिए। यह सभी सुविधाएं 24 घंटे खुली रहनी चाहिए।

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से देश में रोज तीन लाख से ऊपर कोरोना मरीज आ रहे हैं। वहीं रोजाना होने वाली मौतों का आकड़ा भी तीन हजार से ऊपर जा रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि ये वे आकड़ें हैं जो लोग कोरोना टेस्ट करवाने आ रहे हैं। देश में ऐसे कई लोग हैं जो बिना टेस्ट के ट्रीटमेंट ले रहे हैं या खुद ही घर पर होम आइसोलेट हो रहे हैं।

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