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बच्चे को कोरोना हो जाए तो कैसे करें उसकी केयर? पहली बारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन

कोरोना वायरस की दूसरी लहर पहली से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। बीते 24 घंटों में चार लाख से अधिक नए केस सामने आए हैं। इस बार बच्चे भी इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पहली बार बच्चों के लिए कोविड-19 की अलग गाइडलाइन्स बताई गई है।

बच्चे में कोई लक्षण न हो तो..

यदि बच्चा कोरोना पॉजिटिव है लेकिन उसमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो किसी भी प्रकार के इलाज की सलाह नहीं दी गई है। लेकिन इस दौरान आपको उसके संभावित लक्षणों पर नजर बनाए रखना होगी।

माइल्ड (हल्का) इंफेक्शन हो तो..

यदि बच्चे में माइल्ड लक्षण जैसे गले में खराश, गले में दर्द, कफ दिखें लेकिन सांस की कोई समस्या न हो तो उसे होम आइसोलेशन में रखना चाहिए। बच्चे को अधिक से अधिक पानी और अन्य लिक्विड चीजें दें। बुखार आने पर 10-15 mg पैरासिटामोल दी जा सकती है। यदि लक्षण ज्यादा खतरनाक हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।

मॉडरेट (मध्यम) इंफेक्शन हो तो..

इस श्रेणी में वे बच्चे आते हैं जिनका ऑक्सीजन लेवल कम है, पर निमोनिया का कोई लक्षण नहीं है। इन बच्चों को कोविड हेल्थ सेंटर में एडमिट किया जा सकता है। इन्हें डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए तरल चीजें अधिक दें, लेकिन ओवरहाइड्रेशन न हो इसका भी ध्यान रखें। बच्चे को बुखार आता है तो पैरासिटामोल व बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर एमोक्सिसिलिन दी जा सकती है। वहीं बच्चे में ऑक्सीजन सैचुरेशन 94% से कम होने पर उसे ऑक्सीजन दी जानी चाहिए।

गंभीर इंफेक्शन हो तो..

यह वह स्टेज होती है जब बच्चे को कोरोना की वजह से निमोनिया (Pneumonia), रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS), मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम (MODS) और सेप्टिक शॉक जैसे सिरियस लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस तरह के बच्चे को फौरन आईसीयू या एचडीयू में एडमिट कराना चाहिए। इस दौरान बच्चों का कंप्लीट ब्लड काउंट, लिवर, रीनल फंक्शन टेस्ट और चेस्ट एक्स रे भी करवा लेना चाहिए।


उम्मीद करते हैं कि आपको ये जानकारी पसंद आई होगी। कृपया इसे अधिक से अधिक लोगों के साथ शेयर करें ताकि वे लोग भी अपने बच्चों को इस वायरस से संक्रमित होने पर सही एक्शन ले सकें। इसके साथ ही जितना हो सके घर में रहें, सेफ रहें, सुरक्षित रहें।

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