अध्यात्म

कन्या पूजन करने से घर में बनीं रहती है शांति, जानिए इसकी विधि और महत्व

चैत्र नवरात्रि को काफी धूमधाम से मनाया जाता है और इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रि में कन्या को भोजन भी करवाया जाता है और इनका पूजन किया जाता है। दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। इस साल दुर्गाष्टमी 20 अप्रैल को और नवमी 21 अप्रैल को आ रही है।

क्यों किया जाता है कन्या पूजन

नवरात्रि का समापन कन्या पूजन के साथ ही किया जाता है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में मानकर पूजा की जाती है। कन्या पूजन करने के बाद ही कई लोग अपना नवरात्रि का व्रत तोड़ते हैं और खाना ग्रहण करते हैं। कन्या पूजन का जिक्र करते हुए शास्त्रों में लिखा गया है कि कन्या पूजन के लिए सबसे अच्छा दिन दुर्गाष्टमी का होता है। इस दिन कन्याओं की पूजा करने से मां प्रसन्न हो जाती हैं। मां की कृपा अपने भक्तों पर बन जाती है। भक्तों को धन और यश का वरदान मां देती हैं।

जो लोग अपने घर में कन्याओं का पूजन करते हैं। वहां पर सुख शांति बनीं रहती है। उस घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। परिवार के लोगों की सेहत भी अच्छी बनीं रहती है।

कितनी उम्र की कन्याओं का करें पूजन

कन्या पूजन के लिए लड़कियों की उम्र 2 से 9 साल के बीच होनी चाहिए। इसके साथ एक बालक भी होना चाहिए। दरअसल मां दुर्गा की पूजा बिना भैरव के बिना पूरी नहीं माना जाती है। इसी प्रकार से कन्या पूजन में एक बालक का होना जरूरी है। जिसे भैरव माना जाता है।

कैसे करते हैं कन्या पूजन

  • कन्या पूजा करते हुए सबसे पहले कन्याओं के पैरों को अच्छे से साफ करें। उसके बाद उन्हें बैठाकर उनकी पूजा करें।
  • अक्षत, फूल, कुंकुम का टीका लगाएं और हाथ में कलावा बांध दें। फिर कन्याओं को भोजन करवा दें। इनका पैर छूकर आशीर्वाद भी जरूर लें।
  • भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार, दक्षिणा और उपहार देना चाहिए।
  • कन्याओं का पूजन करने के बाद आप भी भोजन खा लें।

Back to top button