राजनीति

जन धन अकाउंट वाले पढ़ लें ये जरूरी खबर, इस छोटी सी गलती से कट जाएंगे अच्छे खासे पैसे

जन धन योजना के अंतर्गत देश के करोड़ों लोगों ने बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स (BSBDA) खुलवा रखा है। हालांकि ऐसे अकाउंट्स के माध्यम से डिजिटल लेनदेन करना अब महंगा भी पड़ने लगा है। ऐसा इसलिए कि कई बैंक जन धन योजना से बने अकाउंट्स से हर महीने एक तय लिमिट के बाद डेबिट होने पर 20 रुपये तक चार्ज कर रहे हैं। यह चार्ज BSBDA अकाउंट से हर महीने 4 से अधिक लेनदेन होने पर वसूला जा रहा है। इस तरह ऐसे अकाउंट्स से डिजिटल लेनदेन करना ग्राहकों को बहुत महंगा पड़ रहा है। उन्हें इस चक्कर में हर महीने अच्छी खासी रकम देनी पड़ती है।

आईआईटी बॉम्बे के गणित विभाग के एक प्रोफेसर आशीष दास ने अपनी रिपोर्ट में कई चौकाने वाले दावे किए हैं। उन्होंने बताया कि कैसे बैंकों द्वारा दूसरे रेगुलर अकाउंट्स की तुलना में BSBDA के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। विशेषकर डेबिट ट्रांजैक्शन के केस में ये भेदभाव साफ देखने को मिलता है।

आशीष दास ने एक स्टडी की जिसमें पाया कि BSBDA में प्रत्येक माह 4 से अधिक डेबिट होने पर बैंकों द्वारा 17.7 रुपये प्रति डेबिट तक चार्ज किया जा रहा है। एक अनुमान के तौर पर एसबीआई ने वित्त वर्ष 2015 से 2020 के मध्य ऐसे 12 करोड़ अकांउट्स से इस तरह के चार्जों से लगभग 300 करोड़ रुपये वसूले हैं।

वहीं पंजाब नेशनल बैंक ऐसे 3.9 करोड़ अकांउट्स से करीब 9.9 करोड़ रुपये वसूल चुका है। इसके अलावा आईडीबीआई बैंक ने ऐसे अकाउंट्स से नॉन-कैश डेबिट पर जनवरी 2021 से 20 रुपये पर डेबिट तक वसूलने का निर्णय लिया है।

दरअसल BSBDA के साथ यह प्रॉब्लम तब पैदा हुई जब एक स्कीम के अंतर्गत हर महीने में ज्यादा से ज्यादा चार बार विड्रॉल की अनुमति की पर्मिशन दी गई। इसके बाद बैंकों ने यह मानकर चलना शुरू कर दिया कि इस लिमिट में UPI या RuPay कार्ड्स माध्यम से पैसे निकालना भी शामिल है।

जबकि RBI के नियमों की माने तो बैंक ऐसे अकाउंट्स पर सर्विस चार्ज लागू नहीं कर सकती है। वहीं कुछ बैंक ऐसे भी थे जिन्होंने 4 डेबिट पूर्ण होते ही ग्राहकों के इन अकाउंट्स को फ्रीज़ कर दिया। अब इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए आरबीआई ने 2019 में बैंकों से बोला कि वे चार से ज्यादा डेबिट होने पर चार्ज ले सकते हैं। फिर 1 जुलाई 2019 से यह नियम बैंकों ने लागू भी कर दिया। हालांकि तब इसे लेकर कोई उचित तर्क नहीं दिया गया था।

वैसे इस मामले पर आपकी क्या राय है? क्या बैंकों द्वारा जन धन योजना के तहत बने BSBDA वाले ग्राहकों के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार करना सही है?

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