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ओडिशा का वो बहुचर्चित दुष्कर्म केस जिसके कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री को देना पड़ा था इस्तीफा

साल 1999 में ओडिशा के एक बहुचर्चित दुष्कर्म मामले की पीड़िता ने अपना दुख दुनिया के सामने जाहिर की है और बताया है कि कैसे एक रात में उसकी जिंदगी बदल गई। अपना दर्द साझा करते हुए पीड़िता ने बताया कि कोई गलती न होने के कारण भी उसे सजा दी गई। उसे बंद रखा गया। लोगों ने उसके घर पर पथराव किया। इतनी ही नहीं पति ने उसका साथ छोड़ दिया। इस दुष्कर्म को बेशक ही आज 22 साल हो गए हों। लेकिन इस पीड़िता का दर्द अभी भी कम नहीं हुआ है।

अपने 22 साल के संघर्ष के बारे में पीड़िता ने कहा कि मुझे परिवार का साथ भी नहीं मिला। आइएफएस पति से तलाक हो गया। मानसिक रूप से विक्षिप्त करार दिया गया और तीन साल तक रांची के मानसिक अस्पताल में रखा गया। मानव अधिकार आयोग की मदद से किसी तरह मैं बाहर आई। लेकिन तब तक दोनों बेटों की कस्टडी हार चुकी थी और वो पति के साथ रहने लगे। आरोपियों ने समझौते का दबाब भी डाला। लेकिन मैंने समझौता नहीं किया।

ये पीड़िता 22 साल से बस अपने लिए इंसाफ की मांग कर रही है। दरअसल दुष्कर्म के 22 साल बाद आरोपित बिवन विश्वाल अब जाकर पकड़ा गया है। जिसके बाद फिर से पीड़िता के अंदर इंसाफ मिलने की आस जागी है।

आखिर क्या हुआ था साल 1999 में

जनवरी वर्ष 1999 में भारतीय वन सेवा के अधिकारी की पत्नी अपने एक दोस्त के साथ कहीं जा रही थी। भुवनेश्वर के बाहरी इलाके में तीन लोगों ने उनके साथ जघन्य अपराध किया और बंदूक की नोंक पर चार घंटे तक दुष्कर्म किया। दो आरोपियों को 26 जनवरी 1999 को गिरफ्तार कर लिया गया था। 26 फरवरी 1999 को उच्च न्यायालय ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंप दी थी। जिसके बाद सीबीआई ने 5 मई 1999 को आरोप पत्र दाखिल किया।

लंबी लड़ाई के बाद पीड़िता ने अपना मुकदमा जीत लिया। 29 अप्रैल 2002 को ओडिशा के खुर्दा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मामले में तीन आरोपियों में से दो प्रदीप साहू और दिरेंद्र मोहंती को आजीवन कारावास और 5,000 रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई थी। लेकिन तीसरा आरोपी बिवन विश्वाल फरार हो गया। जिसकी तलाश पुलिस 22 साल से कर रही थी। वहीं अब जाकर ये पुलिस के हाथ लगा है।

पुलिस कमिश्नर सुधांशु षंडगी के अनुसार घटना के बाद बिवन विश्वाल अपना नाम बदलकर मुंबई चले गया था। यहां पर ये आम्बीभैली लोनावाला इलाके में जलंधर स्वांई के नाम से रह रहा था। वहां पर पाइप मिस्त्री के तौर पर काम करने लगा। परिचय-पत्र, आधार कार्ड, पासबुक सब कुछ जलंधर के नाम से ही इसने बनाया था लंबे समय से पुलिस इसकी खोज कर रही थी। वहीं अब ये पकड़ा गया है।

आपको बता दें कि पीड़िता ने उस दौरान आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक और उनके मित्र एक पूर्व महाधिवक्ता का भी हाथ इसमें है। इस मामले में नाम आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था।

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