अध्यात्म

28 मार्च को है होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त व इससे जुड़ी प्रचलित कथा

होली का त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को आता है। इस साल होली का पर्व 29 मार्च को आ रहा है। जबकि होलिका दहन 28 मार्च को है। इस साल होलिका दहन का मुहूर्त 02 घंटे 19 मिनट का है। जो कि 18:36:38 से लेकर 20:56:23 तक है। गौरतलब है कि होली से एक दिन पहले होलिका का दहन किया जाता है और उसके अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। होलिका दहन से कुछ नियम जोड़े होते हैं, जिनका पालन हर किसी को करना चाहिए।

नियमों के अनुसार होलिका दहन उसी दिन किया जाता है, जिस दिन भद्रा न हो। पूर्णिमा सूर्यास्त के पश्चात, तीनों मुहूर्तों में ही होलिका दहन होना चाहिए। सूर्यास्त से पूर्व अथवा चतुर्दशी तिथि को, होलिका दहन करना वर्जित माना गया है। होलिका दहन के दौरान सूखे पेड़ों की लकड़ियों को जमा किया जाता है और इनकी पूजा की जाती है। फिर इनमें आग लगाई जाती है। आग लगाने से पूर्व इसपर घास, पुआल और गोबर के उपले रखे जाते हैं।

होलिका दहन मुहूर्त पर ही करें। सबसे पहले होलिका को जल अर्पित करें। फिर परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित कराए। लकड़ियों पर आग लगा दें और भगवान से परिवार की खुशहाली की कामना करें। मान्यता है कि होलिका जलाने से परिवार पर कोई बुरा साया नहीं पड़ता। साथ में ही घर के सदस्यों की सेहत भी रही बनीं रहती है।

क्यों किया जाता है होलिका दहन

होलिका दहन से एक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार हरिण्यकशिपु नामक एक राजा हुआ करता था। जो कि भगवान विष्णु से नफरत करता था और किसी को भी भगवान विष्णु की पूजा नहीं करने देता था। लेकिन हरिण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ती में लीन रहता था और सदा इनके नाम का जाप करता था। ये बात हरिण्यकशिपु को पसंद नहीं थी। हरिण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन प्रह्लाद फिर भी विष्णु जी की भक्ती में लीन रहता था। ऐसे में हरिण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई।

हरिण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी और उससे कहा कि वो अग्नि में प्रह्लाद को लेकर बैठ जाए। ऐसा करने से प्रह्लाद जल जाएगा। दरअसल होलिका को वरदान मिला था कि वो अग्नि में जल नहीं सकती है। इसलिए हरिण्यकशिपु ने होलिका से कहा कि वो प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ जाए। ऐसा करने से वो बच जाएगी। जबकि प्रह्लाद जल जाएगा। भाई के कहने पर होलिका प्रह्लाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गई। प्रह्लाद भगावन विष्णु के नाम का जाप करने लगा और भगवान की कृपा से प्रह्लाद बच गया और स्वयं होलिका जलकर मर गई। तभी से इस दिन होलिका दहन की परंपरा शुरू हो गई।

मान्यता है कि जो लोग इस दिन होलिका का दहन करते हैं, उनके जीवन से दुख खत्म हो जाते हैं और रोगों से भी उनकी रक्षा होती है। उत्तर भारत में होलिका दहन के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है और शाम के समय लोग एक साथ जमा होकर होली का दहन करते हैं। वहीं होलिका दहन से अगले दिन रंगों से होली खेली जाता है। कई जगहों पर होली को रंगवाली होली और दुलहंडी भी कहा जाता है।

होली का मुहूर्त

होली का पर्व  मार्च 29, 2021 को है। भद्रा पूंछ -10:13 से 11:16 तक का है। जबकि भद्रा मुख – 11:16 से 13:00 तक का है।

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