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NSG है हिन्दुस्तान की सबसे पावरफुल फोर्स, जांबाज जवानों को ऐसे किया जाता है तैयार!

नई दिल्ली – क्या आप जानते हैं कि देश के सबसे जांबाज सिपाही कहे जाने वाले ब्लैक कैट कमांडो आखिर कितनी कड़ी मेहनत के बाद तैयार किए जाते हैं? हिन्दुस्तान के एनएसजी कमांडो जब कभी भी आतंकियों के ख़िलाफ़ खड़े होते हैं उनका नामों निंशा मिटा देते हैं। इन कमांडो पर पूरे देश का भरोसा होता है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि एक एनएसजी का ब्लैक कैट कमांडो कैसे बनता है। ऑपरेशन के दौरान वो किसी तरह के दबाव में न आए इसके लिए इन ब्लैक कैट कमांडो का मनोवैज्ञानिक टेस्ट भी होता है। तो आइये जानते हैं कि एनएसजी कमांडो कैसे तैयार होते है। NSG commandos training process.

इन विभिन्न फोर्सेज से चुने जाते हैं एनएसजी के जवान –

NSG के जवानों को देश की विभिन्न फोर्सेज से छांटकर तैयार किया जाता है। एनएसजी में 53 प्रतिशत कमांडो सेना से लिए जाते हैं जबकि 47 प्रतिशत कमांडो पैरामिलिट्री फोर्सेज – सीआरपीएफ, आईटीबीपी, आरएएफ और बीएसएफ से लिए जाते हैं। वैसे तो इन कमांडोज की कार्य सेवा पांच साल है, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि इन्हें पांच साल रखा जाए।

मनोवैज्ञानिक टेस्ट से गुजरता है हर एनएसजी जवान NSG commandos training–

फिलहाल, एनएसजी DRDO द्वारा किये गए मनोवैज्ञानिक टेस्ट में पास होने वाले 700 से 1000 कमांडो को चुनता  है। लेकिन, एनएसजी आगे यह विचार कर रहा है कि एनएसजी के कमांडो का मनोवैज्ञानिक टेस्ट एसपीजी की तर्ज पर हो। एनएसजी खुद को अत्याधुनिक बनाने के लिए प्रयास कर रहा है। इसी वजह से भविष्य में एनएसजी के जवानों का मनोवैज्ञानिक टेस्ट VIENNA TEST SYSTEM से किया जाने पर विचार हो रहा है।

अत्याधुनिक हथियारों से लेस होते हैं एनएसजी कमांडो –

अत्याधुनिक हथियारों से लैस इस फोर्स के कमांडो को हवाई क्षेत्र में हमला करने, दुश्मन का पता लगाने, हवाई हमला करने, स्पेशल कॉम्बैट और रेस्क्यू ऑपरेशन्स के लिए तैयार किया जाता है। चार गरुड़ कमांडो से मिलकर बने एक छोटे दस्ते को ट्रैक कहा जाता है। ऐसे ही चार-चार कमांडो से तीन ट्रैक बनता है, जिसमें से पहला ट्रैक दुश्मन पर हमला करता है, जबकि कमान दूसरे वाले ट्रैक के पास होती है। और तीसरा ट्रैक टेलिस्कॉपिक गन से दुश्मन पर निशाना लगाता है।

फिलहाल देश में हैं सिर्फ 14500 एनएसजी कमांडो –

इस वक्त आकड़ो के मुताबिक देश में करीब 14500 एनएसजी कमांडो हैं। इन्हें ढाई साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद तैयार किया गया है। आपको बता दें कि ये ट्रेनिंग इतनी मुश्किल होती है कि आधे से ज्यादा लोग कुछ ही महीनों में ट्रेनिंग छोड़ देते हैं। ट्रेनिंग में इन जवानों को उफनती नदियों और आग से गुजरना, बिना किसी सहारे के पहाड़ो पर चढऩा सिखाया जाता है।

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