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बौखलाए चीन ने कहा, अरुणाचल के हिस्सों के नाम बदलना उसका कानूनी अधिकार!

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा के विरोध पर भारत ने चीन की चेतावनियों गंभीरता से नहीं लिया और भारत के आंतरिक मामलों में चीन की दखलंदाजी का विरोध किया. बार बार चेतावनी देने के बाद भी चीन दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा रोकने में असफल रहा इस बात से बौखलाए चीन ने अब नई पैंतरेबाजी शुरू कर दी है.

चीन ने अरुणाचल प्रदेश के छः अलग अलग क्षेत्रों का नया नामकरण किया है, इस बात पर भारत ने उसे चेताया था और कहा था कि चीन को भारत के किसी भी आंतरिक मामले में दखलअंदाजी का अधिकार नहीं है अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है.

चीन ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के 6 इलाकों का नाम बदलना उसका कानूनी अधिकार :

इस पर चीन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश के 6 इलाकों का नाम बदलना उसका कानूनी अधिकार है, चीन का कहना है कि वह नाम बदल सकता है क्योंकि इस राज्य का एक हिस्सा दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है. वहीं भारत बहुत पहले से चीन के इस दावे को सिरे से खारिज करता रहा है.

दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा के बाद से ही चीन बौखला गया है :

गौरतलब है कि इस महीने दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा के बाद से ही चीन बौखला गया है, चीन ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर भारत उसकी चेतावनी और हितों को नजरअंदाज करता है तो इसके लिए भारत को गंभीर परिणाम झेलने पड़ेंगे.

दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा के विरोध में चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने कदम उठाते हुए 6 इलाकों का नाम बदल दिया, इसपर भारत के शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा था कि चीन को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है हमारा पड़ोसी हमारा नाम कैसे बदल सकता है?

दरअसल चीन तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को एक खतरनाक अलगाववादी नेता मानता है इसलिए वह उनकी अरुणाचल यात्रा का विरोध करता है, वहीं भारत ने यह बात कई बार स्पष्ट की है कि दलाई लामा को भारत एक धर्मगुरु के रूप में स्वीकार करता है और उनकी यात्रा का मकसद चीन विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देना कतई नहीं है. उनकी यात्रा का कोई राजनैतिक मकसद नहीं है, ऐसे में चीन को भारत के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए.

गौरतलब है कि अगर आने वाले वक्त में अरुणाचल प्रदेश के इन हिस्सों के लिए चीन अपने दिए हुए नाम का प्रयोग करने का बल डालेगा या अंतरराष्ट्रीय संस्थानों एवं वेबसाइटों को इन शब्दों का प्रयोग करने के लिए दबाव डालेगा तो भारत इसका पुरजोर विरोध करेगा.

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