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इन चार बैंकों का निजीकरण करने जा रही है सरकार, जानें कहीं आपका बैंक तो नहीं इस सूची में

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का निजीकरण करने की घोषणा आम बजट पेश करते हुए हाल ही में की थी। लेकिन किन बैंकों का निजीकरण किया जाना है। इसकी जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस दौरान नहीं दी थी। मगर अब इन बैंकों का नाम सामने आ गया हैं। सूत्रों का कहना है कि सराकर की ओर से सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का निजीकरण किया जाएगा।

बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार साफ कर चुकी है कि इससे ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है। जिन बैंकों का निजीकरण किया जाना है। उनके खाताधारकों को कोई नुकसान नहीं होगा। ग्राहकों को पहले की तरह ही बैंकिंग सेवाएं मिलती रहेंगी। दरअसल केंद्र सरकार विनिवेश पर ज्यादा ध्यान दे रही है। सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर सरकार राजस्व को बढ़ाना देना चाहती है। उस पैसे का इस्तेमाल सरकार की ओर से योजनाओं पर किया जाएगा।

सरकार की ओर से 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके मद्देनजर सरकार ने देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है। वहीं जिन चार बैंकों का फिलहाल निजीकरण किया जाना है उनमें 2.22 लाख कर्मचारी काम करते हैं। सूत्रों का कहना है कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में कम कर्मचारी होने के चलते उसका निजीकरण आसानी से हो जाएगा।

बैंकों के निजीकरण के लिए किया जाएगा संशोधन

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण करने के लिए सरकार दो अधिनियमों में संशोधन करने वाली है। ये संशोधन इसी साल किए जाने हैं। उम्मीद है कि इन संशोधनों को मानसून सत्र में या बाद में पेश किया जा सकता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करना। इन अधिनियमों के कारण बैंकों का दो चरणों में राष्ट्रीयकरण हो गया और बैंकों के निजीकरण के लिये इन कानूनों के प्रावधानों को बदलना होगा।

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