अध्यात्म

चाणक्य नीति: ये 6 दुख इंसान चाहकर भी खत्म नहीं कर सकता, ज़िंदगीभर रहता है इनसे दुखी

आचार्य चाणक्य अपने समय के महान विद्वान थे। अपने जीवन के अनुभवों और सूझबूझ से उन्होंने चाणक्य नीति बनाई थी। इस नीति में रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी कई दिलचस्प जानकारी लिखी गई थी। इनमे से कुछ तो आज भी सत्य साबित होती है। ऐसे में आज हम आपको आचार्य चाणक्य द्वारा बताए गए ऐसे 6 दुख बताने जा रहे हैं जो इंसान को अग्नि की तरह जीवनभर जलाते हैं। अर्थात ये दुख कभी खत्म होता ही नहीं है।

बुरे स्थान का वास: कहते हैं आपके आसपास के स्थान का आपकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति ऐसी जगह रहता है जो उसे पसंद नहीं है तो वह हमेशा तनाव में रहता है। उसके मन में फिर लगातार नकारात्मक विचार जन्म लेते रहते हैं। ऐसी जगह रहकर वह चाहते हुए भी सुखी नहीं रह पाता है।

झगड़ालू स्त्री: जिन महिलाओं का स्वभाव झगड़ालू या कर्कश होता है वे जीवन में कभी सुखी नहीं रह सकती है। इसकी वजह ये है कि इस तरह की महिलाएं हर छोटी छोटी बात पर गुस्सा हो जाती है। इन्हें लड़ाई किए बिना चेन नहीं आता है। इनकी वजह से परिवार के बाकी सदस्य भी परेशान रहते हैं। ऐसे में इन महिलाओं का उनसे भी तू तू मैं मैं चलता ही रहता है।

नीच कुल की सेवा: समाज में जिस परिवार की इमेज दुष्ट या कपटी या नीच टाइप की है उसकी सेवा करना भी एक बहुत बड़ा दुख होता है। इसकी वजह ये है कि इस टाइप के लोग सेवा जमकर करवा लेते हैं लेकिन जब उसकी कीमत चुकाने की बारी आती है तो नाटक करते हैं।

बुरा भोजन: यदि किसी इंसान को बेस्वाद और पौष्टिक-रहित भोजन बार बार करना पड़े तो ये भी एक बड़ा दुख होता है। जब इंसान का पेट अच्छे से भरता है तब ही उसका बाकी कामों में मन लगता है। खराब खाना और आधी अधूरी भूख दिन बर्बाद कर देती है।

मूर्ख लड़का: वैसे तो बेटा माता पिता के बुढ़ापे का सहारा बनते हैं, लेकिन यही बेटा यदि मूर्ख निकल जाए तो आजीवन पेरेंट्स पर बोझ बन जाते हैं। ऐसे में माता पिता अपने मूर्ख पुत्र की वजह से हमेशा चिंता और दुख में रहते हैं।

विधवा पुत्री: बेटी जब ब्याह कर ससुराल जाती है तो माता पिता बहुत खुश होते हैं। लेकिन यही बेटी यदि विधवा बन जाए तो उनका रो रो कर बुरा हाल हो जाता है। फिर उन्हें विधवा पुत्री के भविष्य की चिंता ज़िंदगीभर सताती है।

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