अध्यात्म

इस साल मकर संक्रांति पर बन रहा खास संयोग, मकर राशि में एक साथ विराजमान होंगे 5 ग्रह

देश भर में मकर संक्रांति के पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व के दौरान पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और उसके बाद गरीबों लोगों को खाने की चीजें दान में दी जाती हैं। ये पर्व हर साल पौष मास में आता है। दरअसल पौष मास में ही सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते हैं और जिन दिन सूर्य का प्रवेश इस राशि में होता है। वो मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर हर साल मकर संक्रांति लोहड़ी के अगले दिन ही आती है और इस बार भी ये पर्व 14 जनवरी को आ रहा है। मकर संक्रांति के पर्व के दिन सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है।

इस पर्व को गुजरात राज्य में उत्तरायणी के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात में इस दिन पतंग उड़ाने का रिवाज भी है और लोग तिल और गुड़ के लड्डू इस दिन जरूर खाया करते हैं। जबकि पंजाब व उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाई जाती है।

इस साल मकर संक्राति पर विशेष योग भी बन रहा है और इस वर्ष एक साथ पांच ग्रह मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। यानी इस साल मकर संक्राति काफी शुभ होने वाली हैं। पंडितों के अनुसार मकर संक्रांति पर इस बार सूर्य, चंद्रमा, शनि, बुध और गुरु ग्रह एक साथ मकर राशि में होंगे। जो कि शुभ संयोग बना रहे हैं। इससे शुभ फल मिलेगा।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त

सुबह 8.30 से शाम 5.46 बजे तक पुण्य काल और सुबह 8 से 8.27 बजे तक महापुण्य काल रहेगा। यानी इस साल मकर संक्रांति का पुण्य काल आठ घंटे तक रहेगा और इस दौराम स्नान कर दान दक्षिणा करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।

हिंदू शास्त्रों में मकर संक्रांति के पर्व का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जो लोग इस पर्व के दिन गंगा स्नान, व्रत और दान करते हैं, उनको पापों से मुक्ति मिल जाती है। मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन होता है और वसंत ऋतु की शुरूआत हो जाती है। इतना ही नहीं मकर संक्रांति से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य देव से जुड़ा होता है। इसलिए इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन शनिदेव की पूजा करने से लाभ मिलता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं, इसलिए इस दिन शनिदेव की पूजा उपासना भी की जाती है। शनिदेव को सरसों का तेल और काले तिल अर्पित किए जाते हैं।

इस तरह से करें दान

  • मकर संक्रांति की सुबह उठकर आप पवित्र नदी में जाकर स्नान करें और तीन डुबियां लगाएं। अगर नदी पर जाना संभव नहीं है, तो आप घर पर नहाने वाली पानी के अंदर गंगा जल को मिला दें और इस पानी से स्नान कर लें।
  • पवित्र पानी से नहाने के बाद नए कपड़े धारण करें और सूर्य देव की पूजा करें।
  • पूजा करने से बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना न भूलें। अर्घ्य के पानी में आप चावल और लाल रंग का फूल डाल दें और सूर्य के मंत्रों का जाप करते हुए इस पानी से अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य देने के बाद आप गरीब लोगों को वस्तुएं दान में दें। आप दाल, चावल, गुड़, आटा और इत्यादि चीजों का दान भी कर सकते हैं। दान करने के अलावा आप ये चीजें मंदिर में जाकर चढ़ा दें।
  • वहीं इस दिन शनिदेव की पूजा करने से भी लाभ मिलता है। तो आप मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा भी जरूर करें और उन्हें तेल अर्पित करना न भूलें।

Back to top button