अध्यात्म

धरती पर आज भी कायम है महाभारत के इन शापों का प्रभाव, दिखता है दुनियाभर में असर

महाभारत को भारत का सबसे ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ माना जाता है। वैसे तो महाभारत को हजारों साल बीत चुके हैं, लेकिन उस काल की ऐसी कई घटनाएं हैं जिन्हें लेकर आज भी लोगों की जिज्ञासा बनी हुई है। इसी कड़ी में महाभारत काल से जुड़े कई ऐसे शाप और वरदान हैं, जिसका प्रभाव आज भी देखने को मिलता है। तो आइये जानते हैं, महाभारत काल से जुड़े उन शापों के बारे में…

युधिष्ठिर द्वारा माता कुंती को दिया शाप

दरअसल जब महाभारत के युद्ध में दानवीर कर्ण मारे जाते हैं तब उस समय माता कुंती पांडवों के पास जाती हैं और बताती हैं कि कर्ण आपका बड़ा भाई था। यह सुनकर पांडव दुखी हो जाते हैं। इसके बाद जब पूरा परिवार शोकाकुल अवस्था में रहता है, तो युधिष्ठिर माता कुंती के पास जाते हैं और उन्हें शाप देते हैं कि आज से दुनिया की कोई भी स्त्री गोपनीय रहस्य नहीं छिपा पाएगी।

उर्वशी द्वारा अर्जुन को दिया शाप

महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन दिव्यास्त्र की शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्वर्ग गए थे। वहां उर्वशी नाम की अप्सरा अर्जुन पर मोहित हो जाती है। इसके बाद जब उर्वशी अपने मन की बात अर्जुन को बताती हैं तो अर्जुन उर्वशी को अपनी मां के समान बताते हैं।

अर्जुन की ये बात सुनकर उर्वशी क्रोधित हो उठती हैं और अर्जुन को शाप देती हैं कि जिस तरह से तुम नपुंसकों की भांति मुझसे बात कर रहे हो, उसी प्रकार तुम एक वर्ष के लिए नपुंसक रहोगे। ये बात अर्जुन इंद्र को बताते हैं, तब इंद्र कहते हैं कि वनवास के समय ये शाप तुम्हारे काम आएगा।

श्रीकृष्ण ने दिया था अश्वस्थामा को ये शाप

महाभारत के अंतिम दिनों में अश्वस्थामा ने पांडव पुत्रों को धोखे से मार दिया था। इसके बाद क्रोधित पांडव और श्रीकृष्ण अश्वस्थामा का पीछा करते हुए महर्षि वेदव्यास के आश्रम तक पहुंचे थे। खुद को असुरक्षित महसूस करते हुए अश्वस्थामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया इसके बचाव में अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र चलाया। इसके बाद वेदव्यास ने अस्त्रों को टकराने से रोक लिया और अस्त्र वापस लेने के आदेश दिए।

अर्जुन ने अपना अस्त्र वापस ले लिया वहीं अश्वस्थामा ने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दिया।  इससे क्रोधित होकर श्रीकृष्ण ने अश्वस्थामा को 3000 वर्षों तक पृथ्वी पर भटकते रहने का शाप दे दिया।

मांडव्य ऋषि ने यमराज को दिया शाप

महाभारत  काल में मांडव्य ऋषि का भी वर्णन मिलता है। दरअसल एक बार राजा ने भूलवश मांडव्य ऋषि को सूली पर चढ़ाने का आदेश दे दिया। इसके बाद उन्हें सूली पर तो चढ़ा दिया गया, लेकिन बहुत समय तक उनके प्राण नहीं गए। इसके बाद राजा को गलती का एहसास हुआ और ऋषि को नीचे उतार दिया।

इसके बाद ऋषि यमराज से मिले और सजा का कारण पूछा तो यमराज ने कहा कि 12 साल की उम्र में आपने एक कीड़े के पूंछ में सुई चुभोई थी। यह सुनकर ऋषि क्रोधित हो उठे और उन्होंने कहा कि इस उम्र में किसी को धर्म-अधर्म का ज्ञान नहीं होता है, इसलिए मैं शाप देता हूं कि तुम इस धरती पर दासी पुत्र बनकर जन्म लोगे।

शमीक ऋषि के पुत्र ने राजा परीक्षित को दिया शाप

अभिमन्यु पुत्र परीक्षित ने पांडवों के स्वर्ग जाने के बाद सारा राज काज संभाला। एक बार वो वन में खेलने गए और वहां शमीक ऋषि तपस्या कर रहे थे। राजा परीक्षित उनसे मिलने गए, लेकिन ऋषि ने उनसे कोई बात नहीं की क्योंकि शमीक ऋषि उस समय मौन व्रत में थे। इससे क्रोधित होकर परीक्षित ने ऋषि पर मरा हुआ सांप फेंक दिया।

इसके बाद शमीक ऋषि के पुत्र को इस बात की जानकारी मिली और उन्होंने राजा को शाप दिया कि सात दिन बाद तक्षक नाग की वजह से तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।

गांधारी ने श्रीकृष्ण को दिया शाप

महाभारत के युद्ध में कौरव वंश का अंत हो गया। माता गांधारी अपने 100 पुत्रों को खोने से व्यथीत थीं। इसके बाद जब श्रीकृष्ण उनसे मुलाकात करने आते हैं तो क्रोध में माता गांधारी कहती हैं कि जिस तरह से मेरे 100 पुत्रों की मृत्यु हुई है, उसी तरह से तुम्हारे यदु वंश के लोग एक दूसरे को मारकर नष्ट हो जाएंगे।

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