विशेष

संपत्ति में मुकेश अंबानी को भी पछाड़ चुके है यह शख्स, कोरोना काल में सब से ज़्यादा कमाए नोट

साल 2020 खत्म होने की कगार पर है। इस साल कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका लगा है। कई लोगों की नौकरी गई, सैलरी कटी और बिजनेस को भी भारी नुकसान हुआ। बहुत से तो ऐसे भी थे जिनके लिए खाने तक को पैसे नहीं थे। हालांकि यह हालत हर किसी की नहीं थी।

देश में कुछ लोग ऐसे भी थे जिनकी इस कोरोना काल में चांदी हो गई और उन्होंने करोड़ों रुपए का प्रॉफ़िट कमाया। फार्मास्युटिकल कंपनी सन फार्मा (Sun Pharma) के प्रमुख दिलीप संघवी (Dilip Shanghvi) भी इनमें से एक हैं।

कोरोना काल में हुआ 12,500 करोड़ का फायदा:
दिलीप संघवी देश के एक ऐसे अरबपति हैं जिन्होंने साल 2020 में खूब नोट छापे हैं। इस साल उनकी संपत्ति में 17 प्रतिशत यानि 12,500 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। कोरोना काल वाले इस वर्ष को देखते हुए यह आकड़ा काफी हैरान कर देने वाला है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिलीप संघवी की कुल संपत्ति (Dilip Shanghvi  Networth) 84,000 करोड़ रुपये है।

कमाई में मुकेश अंबानी को छोड़ चुके हैं पीछे:
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी एशिया के सबसे अमीर शख्स हैं। वहीं दुनिया में अमीरी के मामले में उनकी पोजीशन 9वें नंबर पर है। उनकी दौलत में अभी तक 1.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। वर्तमान में उनकी कुल संपत्ति 76 बिलियन डॉलर यानी 5.70 लाख करोड़ रुपये के आसपास है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब कमाई के मामले में दिलीप संघवी ने मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया था।

साल 2015 में मुकेश अंबानी को पछाड़ा था:
यह बात साल 2015 की है। इसी साल दिलीप संघवी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी को संपत्ति के मामले में पछाड़ दिया था। बताते चले कि सन फार्मा दुनिया की चौथी सबसे बड़ी जेनरिक निर्माता कंपनी है। बीते छह महीनों में सन फार्मा के शेयर में 60 फीसदी बढ़े हैं। वहीं मार्च 2019 में सन फार्मा को 4.1 बिलियन डॉलर के राजस्व के साथ भारत की सबसे मूल्यवान फार्मा कंपनी का स्थान मिला था।

कौन हैं दिलीप संघवी:
अब आप में से कई लोग अभी भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये दिलीप संघवी है कौन जिसने एक समय मुकेश अंबानी जैसी इंसान को भी पीछे छोड़ दिया था। असल में 1 अक्टूबर 1955 को जन्मे 65 वर्षीय दिलीप संघवी, एक फार्मास्युटिकल डिस्ट्रीब्यूटर के बेटे हैं। उन्होंने अपने पिता से 200 डॉलर उधार लिए थे और 1983 में मनोरोग दवाओं निर्माण स्टार्ट कर दिया था। इसके बाद उनकी मेहनत रंग लाने लगी और उन्होंने ‘ सन फार्मा’ कंपनी की स्थापना की। पिछले कुछ सालों में उन्होंने एनर्जी, नेचुरल गैस और ऑयल इंडस्ट्री में भी अपना पैसा इंवेस्ट किया है।

Back to top button