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बिकरु कांड में बड़ा खुलासा : प्रशासन की छत्रछाया में चला रही थी विकास दुबे की जुर्म की दुनिया

बिकरु कांड शुरुआत से अंत तक फिल्मी रहा, पहले विकास दुबे ने फिल्मी अंदाज में पुलिस वालों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई। जिसमें 8 पुलिस वाले शहीद हो गए, इसके बाद पुलिस वालों ने एक-एक कर विकास दुबे के गुर्गों की छापेमारी शुरू की और पकड़े जाने के बाद मुठभेड़ में फिल्मी स्टाइल में पुलिस ने एनकाउंटर करना शुरू कर दिया। अंत में यही हश्र सरगना विकास दुबे का भी हुआ। हालांकि, विकास दुबे की मौत के बाद भी यह मामला ठंडा नहीं हुआ है। हर दिन इसमें चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं,  एक ऐसा ही नया खुलासा हुआ है जिसने सबको हैरान करके रख दिया है। आइए जानते हैं, क्या है यह पूरा मामला –

विकास दुबे के गुर्गों के नाम का खुलासा नहीं हुआ

 दरअसल इन दिनों जो खुलासा हुआ है वो प्रशासन की परेशानियां बढ़ा देगा क्योंकि जुर्म के आका विकास दुबे और प्रशासन की मिलीभगत का एक सबूत उजागर हुआ है। दरअसल यह आरोप लगाया जा रहा है कि विकास दुबे ने असलहा बाबू से मिलकर अपने 15 से 18 बदमाशों को फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवा कर दिए थे। बताया जा रहा है कि इन लाइसेंस को गत वर्ष जनवरी से मार्च के बीच में इशू किया गया था।

हालांकि तब असलहा बाबू के भ्रष्टाचार का भांडाफोड़ हो गया था और उनके समेत 7 अन्य लोगों को 77 फर्जी लाइसेंस बनाने के जुर्म में जेल की हवा भी खानी पड़ी थी, मगर यह बात जानना भी अहम है कि इन 77 फर्जी लाइसेंस में विकास दुबे के गुर्गों वाले लाइसेंस का खुलासा नहीं हुआ था। अब जब इस पूरे मामले को एसटीएफ को सौंप दिया गया है तब जा कर इस मामले का खुलासा हो पाया है। 

विकास दुबे के गुर्गों ने लाइसेंसी असलहों से भी पुलिस पर गोलियां चलाई

बिकरू कांड मामले की पड़ताल कर रही टीम को जब यह पता चला कि विकास दुबे के गुर्गों ने लाइसेंसी असलहों से भी पुलिस पर गोलियां चलाई थीं। तब एसटीएफ की टीम ने विकास के गुर्गों के शस्त्र लाइसेंसों की पड़ताल शुरू कर दी। एसटीएफ से आई जानकारी के अनुसार जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि फर्जी दस्तावेज लगाकर 15 से 18 लाइसेंस बनवाये गए थे। इस पूरी योजना को क्रियान्वित मास्टरमाइंड विकास दुबे ने असलहा बाबू विनीत तिवारी के साथ मिलकर किया था। वहीं जांच में यह बात भी सामने आई कि असलहा बाबू विकास के इशारों पर काम किया करता था। विकास ने इन फर्जी लाइंसेंस को बनवाने के लिए एक वकील के मुंशी, जय किशन उर्फ जैकी को दस्तावेज ले कर भेजा था। इसके बाद का पूरा खेल असलहा बाबू, तिवारी ने खेला और सभी के लाइसेंस जारी करवा दिए। 

190 शस्त्र लाइसेंस में से 77 थे फर्जी

बता दें कि गत वर्ष कुल 190 शस्त्र लाइसेंस बनाए गए थे, इन्हीं में से 77 सशस्त्र लाइसेंस फर्जी साबित हुए थे। मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन के द्वारा असलहा बाबू विनीत तिवारी, कारीगर जितेंद्र व अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ कोतवाली थाने में केस दर्ज करवाया गया था। उस वक्त तत्कालीन एसपी ने एसआईटी गठित कर जांच कराई थी। एसआईटी ने पूरे मामले में कार्यवाही करते हुए नामजद आरोपियों के साथ-साथ अपनी जांच में कारीगर मुकुल, विशाल, अधिवक्ता संजीव व उनके बेटे शुभम के अलावा वकील के मुंशी जय किशन को भी  दोषी पाया था और उन्हें जेल भेजा था। एसटीएफ से आ रही खबरों के अनुसार इन 77 लाइसेंसों में विकास के गुर्गों के भी लाइसेंस शामिल हैं।

जब इस महा फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ तो पुलिस ने इन लाइसेंस के साथ असलहों की भी जब्ती करना शुरू कर दी थी।  मगर अब एसटीएफ से आ रही खबरों के अनुसार विकास दुबे के गुर्गों के शस्त्र उस वक्त जमा नहीं हुए थे। यह पुलिस की एक बड़ी लापरवाही दर्शाता है। वहीं दूसरी ओर इस फर्जी लाइसेंस के आरोप में अब तक सभी आरोपी छूट गए थे, मगर जांच फिर से खुलने के बाद एक बार फिर वो जांच के घेरे में फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं। 

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