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चीन ने की भारतीय सेना की तारीफ, कहा- अमेरिका और रूस के पास भी नहीं भारत जैसी अनुभवी सेना

भारत-चीन देश के बीच चल रहा सीमा विवाद हल हो गया हैं और चीन ने अपनी सेना को लद्दाख की सीमा से दो किलोमीटर पीछे हटा लिया है। जिसके बाद भारत ने भी अपनी सेना को सीमा से पीछे हटाया है। भारत और चीन ने इस मसले को बैठक करके सुलझाया है। वहीं ये मसला हल होने के बाद चीन के मिलिट्री एक्सपर्ट ने भारतीय सेना की खूब तारीफ की है। चीन के एक मिलिट्री एक्सपर्ट ने कहा है कि भारत के पास दुनिया में सबसे बड़ी और सबसे अनुभवी पठारी और पहाड़ी सेना है। जिसके पास आधुनिक हथियार हैं। जो किसी भी मुश्किल का सामना करने में सक्षम हैं।

अमेरिका और रूस से बेहतर सेना

चीन ने भारतीय सेना की तुलना अमेरिका और रूस देश की सेना से की है और भारतीय सेना को इन दोनों देशों की सेना से लाख गुना बेहतर बताया है। मॉडर्न वेपनरी मैगजीन के सीनियर एडिटर हुआंग जुओझी के मुताबिक, अमेरिका और रूस जैसे मजबूत देशों के पास भी पहाड़ों पर जंग लड़ने के लिए भारत जैसी अनुभवी सेना मौजूद नहीं है।

एक आर्टिकल में हुआंग जुओझी ने लिखा ‘इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी और अनुभवी पहाड़ी और पठारी सेना ना अमेरिका, ना ही रूस, यहां तक की किसी यूरोपीय देश के पास नहीं है। लेकिन भारत के पास है। भारत के पास पठार और पर्वतीय इलाकों के मामले में विश्व में सबसे बड़ी और सर्वाधिक अनुभवी सैन्य टुकड़ी है। जो कि तिब्बत सीमा पर तैनात है।

सबसे बड़ा पर्वतीय लड़ाकू बल

भारतीय सेना की तारीफ करते हुए हुआंग जुओझी ने कहा कि भारतीय पर्वतीय बल दुनिया में सबसे बड़ा पर्वतीय लड़ाकू बल है। भारतीय सेना के पास 12 डिवीजनों में दो लाख से अधिक सैनिक हैं। 1970 के दशक से भारतीय सेना ने पर्वतीय सैनिकों की संख्या में काफी वृद्धि की है और उसकी योजना 50 हजार से अधिक सैनिकों वाली एक पर्वतीय लड़ाकू कोर बनाने की भी है।

सेना के पास हैं नए हाथियार

भारतीय सेना के हथियारों पर चीन के मिलिट्री एक्सपर्ट हुआंग जुओझी ने लिखा है कि भारतीय सेना ने अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अमेरिका से एम 777, विश्व की सर्वाधिक हल्की 155 एमएम होवित्जर तोप और चिनूक भारी परिवहन हेलीकॉप्टर जैसे आधुनिक उपकरण खरीदे हैं और इनको खरीदने पर भारी खर्च किया है।

थलसेना और वायुसेना के बीच हैं मतभेद

हुआंग जुओझी के मुताबिक भारतीय थल सेना और भारतीय वायुसेना के बीच काफी सारे मतभेद हैं। जिसके चलते भारतीय थलसेना ने अमेरिका से एएच-64 ई लांगबो अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों लेने का फैसला किया है। ताकि भारतीय थल सेना को पूरी तरह से वायुसेना की हवाईपट्टी पर निर्भर न रहना पड़े। भारतीय सेना की खामियों का जिक्र भी हुआंग जुओझी ने किया है और उन्होंने लिखा है कि भारतीय सेना हथियार प्रणाली में पूरी तरह स्व-सक्षम नहीं है।

सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र के बारे में इन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में 5 हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर सैकड़ों चौकियां स्थापित की हैं। इस जगह पर छह से सात हजार लड़ाके तैनात हैं। ये सबसे ऊंची चौकी है जिसकी ऊंचाई 6,749 मीटर है।

गौरतलब है कि भारत चीन के साथ भी सीमा को साझा करता है और चीन देश अक्सर भारत की सीमा में घुसकर विवाद पैदा करता है। जिसका जवाब भारतीय सेना मजबूती के साथ देती है। हाल ही में चीन ने लद्दाख की सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती अधिक कर दी थी और सीमा को लेकर विवाद पैदा किया था। जिसके जवाब में भारत ने भी इस सीमा पर सैनिकों की तैनाती अधिक कर दी थी। हालांकि अब ये विवाद हल हो गया। वहीं अब चीन ने भारतीय सेना की तारीफ की है।

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