अध्यात्म

सदियों पुरानी है नदी और तालाब में सिक्का फेंकने की परंपरा, जानें किस वजह से किया जाता है ऐसा

हिंदू धर्म में ऐसी कई सारी परंपरा हैं जो कि सदियों से चली आ रही हैं और आज भी इन परंपराओं को पालन किया जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही परंपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज भी जिंदा हैं और लोग इनका पालन करते हैं। तो आइए जानते हैं इन परंपराओं के बारे में।

नदियों में सिक्के डालने की परंपरा

नदी में सिक्के डालने की परंपरा काफी पुरानी है और आज भी लोग पवित्र नदियों में सिक्के जरूर डालते हैं। नदी में सिक्के डालने से कई सारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार नदी में सिक्के डालने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जिसकी वजह से लोग नदी के अंदर सिक्का डालते हैं और अपने मन में कामनों कामान बोलते हैं। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि पूराने समय में लोग नदी में सिक्का इसलिए डालते थे ताकि नदी का पानी साफ हो सके।

दरअसल पुराने समय में सोने, चांदी और तांबे की धातु के सिक्के हुआ करते थे। तांबे धातु प्यूरीफिकेशन का काम करती है। इसलिए लोग नदी में तांबे से सिक्के डालते थे। ताकि नदी का पानी साफ हो सके और नदी का पानी पीने के योग्य हो जाए। हालांकि अब तांबे के सिक्के बंद हो गए हैं। लेकिन फिर भी नदी में सिक्के डालने की पंरापरा जारी है।

तुलसी की पूजा

तुलसी की पूजा करने की परंपरा भी काफी सदियों से चली आ रही है। परंपरा के अनुसार घर में तुलसी का पौधा रखना शुभ माना जाता है और घर में तुलसी का पौधा होने से कई सारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी कृपा बन जाती है। इसके अलावा ये भी मान्यता है कि ये पौधा कीटनाशक है और इस पौधे के घर में होने से घर से कीड़े दूर रहते हैं। तुलसी के पत्ते औषधियां भी होते हैं और इनका सेवन करने से कई रोग दूर भी हो जाते हैं।

पीपल के पेड़ की पूजा

पीपल के पेड़ की पूजा करने की परंपरा भी काफी पुरानी है। पीपल के पेड़ की पूजा करने से जुड़ी मान्यता ते मुताबिक इस पेड़ पर विष्णु जी और लक्ष्मी जी का वास होता है और इस पेड़ की पूजा करने से धन की कमी नहीं होती है।

भोजन के बाद मिठाई खाना

हमारी परंपरा के अनुसार भोजन करने के बाद मीठा जरूर खाया जाता है। दरअसल मसालेदार भोजन खाने के पेट में एसिड बनने लग जाता है। जिसके की एसिडिटी और गैस की समस्या हो जाती है। हालांकि अगर भोजन के बाद मीठा खाया जाए, तो पाचन प्रक्रिया सही से कार्य करती है और एसिडिटी नहीं होती है।

कान छेदना

शास्त्रों में कान छेदाना शुभ माना गया है और सदियों से भारत में कान छेदाने की परंपरा जारी है।  विज्ञान में भी कान छेदना सेहत के लिए अच्छा माना गया है। जबकि शास्त्रों के अनुसार कर्णभेद से मस्तिष्क में रक्त का संचार सही से होता है। साथ में हीबौद्धिक योग्यता भी बढ़ती है।

Back to top button