अध्यात्म

इस तरह से द्रौपदी अपने पांचों पतियों के साथ बिताती थी समय, जाने पांडवों के साथ कैसे थे संबंध

महाभारत ग्रंथ के अनुसार द्रौपदी के पांच पति थे और ये पहली ऐसी महिला थी जिसने पांच व्यक्तियों से विवाह किया था। द्रौपदी के विवाह की कथा के अनुसार द्रौपदी को अर्जुन ने स्वयंवर प्रतियोगिता में जीता था। लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि द्रौपदी को अर्जुन के चारों भाइयों से विवाह करना पड़ा।

द्रौपदी की कथा

स्वयंवर में द्रौपदी को जीतने के बाद जब अर्जुन अपने चारों भाइयों के साथ द्रौपदी को लेकर अपनी मां के पास गए, तो उनकी मां ने द्रौपदी को पांचों भाइयों में बांटने का आदेश दिया। दरअसल पांडवों की मां कुंती ने सोचा की उनके बेटे दक्षिणा लेकर आए हैं और कुंती ने दक्षिणा को पांचों भाइयों को आपस में बांटने का आदेश दे दिया। जिसकी वजह से द्रौपदी को पांचों पांडवों से विवाह करना पड़ा।

द्रौपदी पांच व्यक्ति से विवाह करने के पक्ष में नहीं थे। तब द्रौपदी को कृष्ण जी ने उनकी तपस्या के बारे में बताया। कृष्ण जी ने द्रौपदी से कहा कि पिछले जन्म में तुम सर्वगुण संपन्न थी और ऐसा होने के कारण तुम्हें योग्य वर नहीं मिल पाया था। जिसके चलते तुमने भगवान शंकर की तपस्या की और शंकर भगवान से तुमने गलती से पांच बार वर मांग लिए। जिसकी वजह से तुम्हें इस जन्म में पांच पति मिले हैं। श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई इस बात को जानने के बाद द्रौपदी पांडवों से विवाह करने के लिए राजी हो गई।

वहीं पांच पतियों के साथ द्रौपदी किस तरह से रहे इसका हल खुद श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को दिया और द्रौपदी से कहा कि वो एक पांडव के साथ एक साल का समय बिताए। इस दौरान  उनके कक्ष में कोई और पांडव प्रवेश ना करें। वहीं अगर कोई पांडवों उनके कक्ष में प्रवेश कर लेता है तो उसे तुरंत एक साल के लिए वनवास पर भेज दिया जाए।

हर पांडवों के साथ रहती थी एक साल

श्री कृष्ण जी के सुझाव को मानते हुए द्रौपदी हर पांडवों के साथ एक साल रहती थी। वहीं शंकर भगवान के द्रौपदी को ये वरदान भी दिया था कि वो प्रतिदिन कन्या भाव यानी कौमार्य को प्राप्त कर लेगी। जिसकी वजह से पांचों पतियों के साथ पत्नी धर्म निभाने में द्रौपदी को कई परेशानी नहीं हुई।

अर्जुन को जाना पड़ा वनवास पर

अर्जुन ने द्रौपदी के साथ एक साल का समय बिताया था और एक साल की अवधि खत्म होने के बाद द्रौपदी ने युधिष्ठिर के साथ समय बिताना शुरू कर दिया था। लेकिन अर्जुन गलती से द्रौपदी के कक्ष में अपना तीर-धनुष भूल गए थे। इसी दौरान एक ब्राह्मण अपने पशुओं की रक्षा के लिए अर्जुन से मदद मांगने के लिए आए और अर्जुन तीर-धनुष लेने के लिए द्रौपदी के कक्ष में चले गए। उस दौरान द्रौपदी-युधिष्ठिर साथ में थे और नियम तोड़ने के चलते अर्जुन को 1 साल के लिए राज्य से निकाला दिया गया।

पांच पुत्रों को दिया जन्म

द्रौपदी के कुल पांच पुत्र थे और इन्हें द्रौपदी ने एक-एक वर्ष के अंतराल में जन्म दिया था। हर पांडव से द्रौपदी को एक पुत्र हुआ था। हालांकि महाभारत युद्ध के दौरान द्रौपदी के पांचों पुत्रों की मृत्यु हो गई थी।

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