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सरकार ने पेट्रोल पर 10 और डीजल पर 13 रुपये बढ़ाई एक्साइज ड्यूटी, लेकिन दाम फिर भी नहीं बढ़ेंगे

केंद्र सरकार ने आज एक अहम फैसला लेते हुए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को बढ़ा दिया है। सरकार द्वारा पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। पेट्रोल और डीजल पर बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी का असर 6 मई से लागू किया जाएगा।

क्या होती है एक्साइज ड्यूटी

एक्साइज ड्यूटी एक प्रकार का उत्पाद शुल्क होता है, जो कि किसी सम्मान या उत्पादन पर भारत सरकार लगाती है। जो कंपनियां सम्मानों को बाहर से आयात करती हैं, उन सम्मानों पर एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है। एक्साइज ड्यूट की मदद से सरकार का राजस्व बढ़ता है।

क्यों बढ़ाई पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी

अंतराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है। जिसका फायदा कई सारी कंपनियों को मिल रहा है। भारत की कई सारी तेल कंपनियां कम कीमतों पर तेल खरीद रही है और तेल को जमा करने में लगी हुई है। ऐसे में अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए केंद्रीय सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का फैसला लिया है। हालांकि एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाने से पेट्रोल और डीजल के खुदरा दामों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

ऑयल मार्केटिंग कंपनी इस बढ़ोत्तरी का वहन आसानी से कर सकती है। क्योंकि उन्हें कच्चा तेल सस्ता मिल रहा है। सरल शब्दों में समझा जाए तो अंतर्राष्ट्रीय दरों में गिरावट के हिसाब से ये एक्साइज ड्यूटी अजस्ट हो जाएगी और ऐसा होने से देश में पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ेंगे। ऑयल मार्केटिंग कंपनी के एक अधिकारी के अनुसार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से पेट्रोल और डीजल की MRP पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

सरकार ने नहीं किए दाम कम

अंतराष्ट्रीय बाजारों में अगर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है। तो देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत ज्यादा हो जाती हैं। इसी तरह से अंतराष्ट्रीय बाजारों में अगर कच्चे तेल की कीमत कम होती हैं। तो पेट्रोल और डीजल को सस्ते दामों पर बेचा जाता है। लेकिन भारत सरकार द्वारा अंतराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने के बाद भी देश में इनका मूल्य कम नहीं किया गया है और सरकार इनको पूरानी कीमतों पर ही बेच रही है। दरअसल इस समय देश में लॉकडाउन लगा हुआ है और लॉकडाउन के कारण सरकार का राजस्व काफी कम हो गया है। ऐसे में सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों को कम नहीं किया है और इनको पूराने दामों पर ही बेचकर अपना राजस्व बढ़ा रही है।

इस वजह से आई कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट

कोरोना वायरस को कच्चे तेल की कीमत में आने वाली बड़ी गिरावट के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। दरअसल कोरोना वायरस के कारण दुनिया की अर्थव्यव्स्था एकदम सुस्त हो गई है। जिससे की कच्चे तेल की कीमते भी गिर गई है। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते कच्चे तेल की मांग कम हो गई है और पिछले महीने ब्रेंट क्रूड की कीमत प्रति बैरल 18.10 डॉलर पहुंच गई थी, जो कि 1999 के बाद से सबसे कम कीमत थी। यानी कि अंतराष्ट्रीय बाजार में कम दामों पर कच्चा तेल बेचा जा रहा है।

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