अध्यात्म

मकान की नींव भरते समय सर्प और कलश को गाड़ना क्यों माना जाता है शुभ? जानिए इसका महत्व

अगर आप लोगों से यह सवाल पूछा जाए कि आप अपने जीवन में किस चीज की ख्वाहिश रखते हैं तो सभी लोगों का जवाब यही होगा कि वह अपने घर में रहना चाहते हैं, अपना घर बनवा कर व्यक्ति अपने परिवार के साथ हंसी खुशी रहना चाहता है, लगभग घर का सपना हर किसी मनुष्य का होता है, चाहे घर छोटा हो या बड़ा, लेकिन जब व्यक्ति का अपना घर बनता है तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है, व्यक्ति अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करता है, आखिर में जब उसका सपना साकार होता है तो उसका मन काफी प्रफुल्लित हो जाता है, घर का सुख प्राप्त करने का एहसास सबसे अलग है, यह सुखद एहसास व्यक्ति के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाता है, जब व्यक्ति अपने जीवन में हर प्रकार के प्रयत्न करने के बाद अपना घर बनवाता है तो वह घर बनवाते समय हर चीज का ध्यान रखता है, वह चाहता है कि उसके जीवन में शुभता आए और उसका घर परिवार हमेशा खुश रहे, अपने घर के अंदर वह अपनी बची हुई जिंदगी ठीक प्रकार से व्यतीत कर पाए।

भवन निर्माण में वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व माना गया है, अगर व्यक्ति अपना घर वास्तु के नियमों का पालन करते हुए बनवाता है तो उसका जीवन हमेशा खुशहाल व्यतीत होता है, वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण को लेकर बहुत सी चीजें और वस्तुओं के रखरखाव के बारे में जानकारी दी गई है, जिनका बहुत अधिक महत्व माना गया है, इन नियमों का पालन करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है, जब मकान की नींव खोदी जाती है तो उसमें कुछ विशेष चीजें भरी जाती है, मकान की नींव पूजन में सर्प और कलश भरा जाता है, आखिर इसका क्या महत्व है? आखिर यह चीजें मकान की नींव में क्यों भरी जाती है, आज हम आपको इस रहस्य के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

आइए जानते हैं नींव में सर्प और कलश की स्थापना क्यों की जाती है?

अगर हम पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देखें तो इस बात का जिक्र मिलता है कि यह पूरी पृथ्वी शेषनाग के फन पर ही टिकी हुई है, पौराणिक ग्रंथों में धरती के नीचे पाताल लोक की कल्पना की गई है, जब भूमि की खुदाई की जाती है तो एक प्रकार से पाताल लोक की सत्ता में प्रवेश करते हैं, पुराणों में इस बात का जिक्र किया गया है कि पाताल लोक का स्वामी शेषनाग है, हजारों फनो वाले शेषनाग सभी नागों के राजा हैं, भगवान विष्णु जी शेषनाग पर शयन करते हैं, इतना ही नहीं बल्कि इन्होंने भगवान के साथ-साथ अवतार लेकर उनकी लीला में भी इन्होंने साथ दिया है।

मकान की नींव में सर्प और कलश स्थापना पूजन का महत्व यह है कि जिस प्रकार शेषनाग ने इस पूरी पृथ्वी को अपने फन पर पूरी मजबूती के साथ संभाल रखा है ठीक उसी प्रकार मकान की भी रक्षा यह करें, शेषनाग भगवान विष्णु जी शैय्या माने गए हैं, ऐसा बताया जाता है कि क्षीर सागर में भगवान विष्णु जी शेष नाग के ऊपर विश्राम करते हैं और इनकी चरणों में धन की देवी माता लक्ष्मी जी स्थापित है, अगर हम हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार देखें तो कलश को भगवान विष्णु जी का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी, डालकर मंत्रों से आवाहन पर शेषनाग को बुलाया जाता है ताकि वह घर की रक्षा करें, विष्णु रूपी कलश में लक्ष्मी जी के स्वरूप सिक्का डालकर फूल और दूध पूजा में अर्पित किया जाता है जो कि नागों को सबसे अधिक प्रिय होता है।

देवों के देव महादेव के आभूषण भी नाग ही है, बलराम और लक्ष्मण जी भी शेषनाग के अवतार माने जाते हैं, ऐसा माना जाता है कि अगर मकान बनाने वाले व्यक्ति ने शेषनाग को प्रसन्न कर लिया तो उसने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी को भी प्रसन्न कर लिया है और उसके मकान में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होगी, इसी विश्वास के साथ यह परंपरा पुराने समय से ही चली आ रही है।

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