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इन तीन खलनायकों की वजह से UP में मचा कोरोना का कोहराम, ये लोग ही हैं असली जिम्मेदार

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई है, लेकिन फिर भी दिन ब दिन कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश हैं। हर राज्य में कोरोना के फैलने की वजह अलग अलग है, लेकिन आज हम उत्तर प्रदेश की बात करेंगे कि यहां कोरोना संक्रमित मरीजों की क्या स्थिति है और यूपी में कोरोना का कहर किस रफ्तार से बढ़ रहा है? आइये जानते हैं कि उत्तर प्रदेश को इस बड़े संकट की ओर किसने ढकेला?

यूपी की बात करें तो यहां सबसे पहला केस 2 मार्च को आगरा से आया। आगरा के बाद लखनऊ में पहला केस 12 मार्च को आया। यहां एक महिला चिकित्सक में कोरोना की पुष्टि हुई थी, जिनकी फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री थी । इसके बाद 20 मार्च को उत्तर प्रदेश में कोरोना के 23 केस सामने आए और 31 मार्च तक केसेस बढ़कर 103 हो गए। मार्च के अंत तक भी हालात काफी काबू में थे, लेकिन फिर अचानक से अगले 20 दिन में उत्तर प्रदेश कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1100 के पार हो गई। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में तीन बड़े कारणों से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी। ये तीन बड़े कारण थे- जमाती, पारस हॉस्पिटल और सीज़ फायर कंपनी।

उत्तर प्रदेश में कोरोना से जुड़े मामलों की की संख्या में जैसे जैसे बढ़ोतरी हुई, वैसे वैसे ही योगी सरकार ने कमर कस ली थी। खुद सीएम योगी कोरोना को लेकर काफी गंभीर दिख रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों के साथ मिलकर ऐसी रणनीति बनाई, जिससे कि कोरोना का संक्रमण न फैले। इस रणनीति में सफलता भी दिख रही थी, लेकिन अचानक से तीन बड़ी घटनाों (जमाती, पारस हॉस्पिटल, सीजफायर कंपनी) ने उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण को फैला दिया।

लखनऊ के 167 में 140 जमाती केस

ये आंकड़े साफ कह रहे हैं कि अगर तब्लीगी जमात का केस नहीं होता, तो उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण का ऐसा रूप कभी सामने नहीं आता। देशभर में कोरोना मरीजों की संख्या में एकदम से उछाल आया, इसका कारण तब्लीगी जमात ही है। लखनऊ इसका एक बड़ा उदाहरण है, जहां कुल 167 मरीज हैं, जिसमें से 140 मरीज जमाती हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि तब्लीगी जमात ने किस कदर कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा किया है।

आगरा में पारस हॉस्पिटल जिम्मेदार

आगरा में पारस हॉस्पिटल में एक किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीज भर्ती थी। महिला की उम्र 65 वर्ष थी और वह 15 मार्च से 2 अप्रैल तक भर्ती पारस हॉस्पिटल में भर्ती रही। यहां से रेफर होकर वह मथुरा के नयति अस्पताल में पहुँची, वहां पीड़ित महिला 4 अप्रैल को कोरोना पॉजिटीव पाई गई। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और पारस हॉस्पिटल के स्टाफ, भर्ती मरीजों और मरीज के संपर्क में आए लोगों की छानबीन शुरू की गई और इन सभी के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। रिपोर्ट आने के बाद आगरा में जैसे करोना का विस्फोट हो गया। फिलहाल आगरा में कोरोना के 255 पॉजिटीव केस हैं, जिसमें 92 जमाती और 79 केस पारस हॉस्पिटल के हैं।

नोएडा में सीजफायर कंपनी

नोएडा में कोरोना को फैलाने में एक सीजफायर कंपनी की बड़ी भूमिका रही। इस कंपनी में ब्रिटेन से एक शख्स ऑडिट के लिए आया था। वह शख्स कोरोना वायरस से संक्रमित था। इसके बाद कंपनी का एक कर्मचारी नोएडा जिला अस्पताल में भर्ती हुआ। उसके कुछ दिनों बाद ही उसमें कोरोना पॉजिटीव पाया गया।

नोएडा में लगातार कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती गई। संक्रमितों में आधे से ज्यादा लोग सीजफायर कंपनी के अधिकारी, कर्मचारी या उनके कांटेक्ट के हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूपी में इस वक्त 1100 से अधिक कोरोना के मामले हैं, जिसमें 900 से ज्यादा तो सिर्फ जमाती, पारस हॉस्पिटल और सीजफायर कंपनी से जुड़े हुए हैं।

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