भारत में कोरोना के खतरे को बढ़ाकर छुप गया है कायर मौलाना साद, पुलिस भी ढूंढने में नाकाम
इस पर साजिश के तहत देश में कोरोना फैलाने का आरोप है और यह यह कायर मौलाना छुपा छुपा फिर रहा है
देश में कोरोना संक्रमण को फैलाने का सबसे बड़ा जरिया बने निजामुद्दीन मरकज के जमातियों के प्रमुख मौलाना साद अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। मौलाना साद के साथ साथ उनके 6 और साथियों पर भी दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया है, लेकिन कई दिनों बाद भी मौलाना का पता नहीं चला है। बता दें की निजामुद्दीन स्थित मरकज में शामिल तबलीगी जमात में देश विदेश से शामिल हुए लोगों ने देश में कोरोना के संकट को और ज्यादा बढ़ा दिया है। इस घटना की जानकारी के बाद से ही मौलाना साद की तलाश जारी है।
अभी तक नहीं मिला मौलाना का कोई सुराग
निजामुद्दीन स्थित मरकज के मौलाना साद पर 31 मार्च को मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन अभी भी मौलाना कानून की गिरफ्त से बाहर हैं। यूपी के शामली में उनके पैतृक निवास कांघला से लेकर सहारनपुर में उनके ससुराल तक पुलिस तलाश में जुटी हुई है। दिल्ली में निजामुद्दीन और जाकिर नगर में उनके घर पर भी खोज चल रही है, लेकिन अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है। उनके अलावा बाकी 6 और साथियों के बारे में भी पुलिस कुछ पता लगाने में अभी नाकामयाब है।
दिल्ली पुलिस को कुछ दिन पहले इस बात की सूचना मिली थी कि मौलाना साद दिल्ली के ओखला इलाके के जाकिर नगर में अपनी बहन के घर छिपे हैं। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने उस वक्त कहा कि वो इसे पुख्ता कर रहे हैं, लेकिन अभी तक साद जांच एजेंसियों की नजरों से बचे हुए हैं।बता दें की दिल्ली में 13 मार्च से निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात में मरकज के लिए लगभग 3 हजार से ऊपर लोग इकट्ठा हो गए थे। हालांकि इस जमात में कुल कितने लोग थे इस संख्या की पुष्टि नहीं हुई है। लोगों को मौलाना साद ने ही धार्मिक प्रवचन देने के लिए बुलाया था। इस जमात में 850 से भी ज्यादा विदेशी लोग भी शामिल हुए थे। अभी कई पुलिस की पकड़ में आ गए हैं, लेकिन बाकी जमातियों की तलाश जारी है।
गौरतलब है की कोरोना मामले को बढ़ता देश दिल्ली में सीएम केजरीवाल ने 16 मार्च से ही ये आदेश जारी कर दिया था कि राज्य में 31 मार्च तक कोई भी धार्मिक, समाजिक या राजनैतिक जमावड़ा नहीं होगा जिसमें 50 से ज्यादा लोग हों। कोरोना की बिगड़ती स्थिति को देखकर ये संख्या 20 और फिर आगे चलकर 5 लोगों के इक्ट्ठा होने तक सीमित कर दी गई थी। सरकार के इस फैसले की धज्जियां उड़ाते हुए जमाती अपने कार्यक्रम में जुटे रहे।
सरकारी आदेश के बाद भी मरकज में लोग थे मौजूद
इसके बाद 24 मार्च को पीएम मोदी ने पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। इसके अलगे दिन ही इस घटना की जानकारी मिली की अभी भी लोग मरकज के लिए एक जगह एकत्रित हैं। जिसके बाद से पुलिस इन लोगों को बसों में बैठाकर संक्रमण की जांच के लिए अस्पतालों में ले गई। इन जमातियों द्वारा पुलिस पर थूकने औऱ अस्पतालों में गंदगी मचाने की खबरें भी सामने आई थीं। बता दें की दिल्ली पुलिस ने 28 मार्च को ही मरकज को नोटिस जारी कर इसे फौरन खाली करने का आदेश दिया था। इस पर जमातियों ने कहा था कि लॉकडाउन घोषित होने से पहले ही यहां मरकज शुरु हो गया था और हम बाहर से किसी को नहीं ले रहे। बाद में जब इनकी जांच हुई तो कई जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
दिल्ली प्रशासन ने मौलाना साद को 2 अप्रैल को पहला नोटिस भेजा था। इस नोटिस में उनसे 26 सवाल पूछे गए थे, जिसमें नाम पता, संगठन का पंजीकरण विवरण, पिछले तीन वर्षों में मरकज द्वारा भरे गए आयकर रिटर्न की जानकारी, पैन नंबर, बैंक खाता संख्या आदि सवाल शामिल हैं। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने संगठन को परिसर में एक धार्मिक सभा आयोजित करने के लिए पुलिस या किसी भी अधिकारी से मांगी गई अनुमति की एक प्रति भी पेश करने को कहा।
विवादों से मौलाना का पुराना है नाता
इसके बाद 6 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने मौलान साद को दूसरा नोटिस जारी कर जवाब मांगा। मौलाना के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी केस दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने भारत में साजिश के तहत कोरोना वायरस को देश में फैलाया है। ऐसी बात नहीं है जब मौलाना साद पहली बार किसी विवाद का हिस्सा बने हैं। उन्होंने खुद को ही तबलीगी जमात का एकछत्र अमीर यानी संगठन का सर्वोच्च नेता घोषित कर दिया था। इस पर जमात के वरिष्ठ धर्म गुरुओं ने आपत्ति भी जताई थी, लेकिन मौलाना पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।बाद में उनका एक ऑडियो क्लीप भी शामिल हुआ था जिसमें वो कहते सुनाई दे रहे थे कि वो ही अमीर हैं, सबके अमीर और अगर आप ये नहीं मानते तो भाड़ में जाइये।
तबलीगी जमात के पूर्व अमीर जुबैर उल हसन ने संगठन का नेतृत्व करने के लिए सुरु कमेटी का गठन किया था, लेकिन बात तब बिगड़ी जब जुबैर का इंतकाल हो गया। जुबैर के गुजर जाने के बाद मौलाना साद ने नेतृत्व के लिए किसी का साथ नहीं लिया और खुद को ही जमात का सर्वोच्च नेता घोषित कर दिया। अब साद जमात के संस्थापक के पड़पोते और संगठन के दूसरे अमीर के पोते हैं तो लोगों में उनकी पैठ है।
हालांकि 2016 के जून में मौलाना साद और मौलाना मोहम्मद जैहरुल हसन की नेतृत्व वाली जमात के दूसरे ग्रुप के बीच झड़प हो गई। दोनों ने एक दूसरे के ऊपर हथियार चला दिए। उस वक्त पुलिस की दखल से मामला ठंडा पड़ गया। मौलाना साद के समूह के लोगों का हिंसक व्यवहार देखकर कई वरिष्ठ सदस्य निजामुद्दीन छोड़ भोपाल चले गए। उसके बाद से ये जमात दो हिस्सों में बंट गई। मौलाना साद दिल्ली ते निजामुद्दीन में स्थित इसी तबलीगी जमात के प्रमुख हैं।