राजनीति

सेना के लिए कम पड़ा रक्षा बजट!

पहले से ही पनडुब्बियों से लेकर टैंकों तक, लड़ाकू विमानों से लेकर हेलिकॉप्टरों तक की कमी से जूझ रहे सशस्त्र बलों को इस साल मुश्किल से आधुनिकीकरण प्रॉजेक्ट के लिए थोड़ा बहुत फंड मिला है. रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में देश का रक्षा बजट बढ़ाने की वकालत की है. समिति के मुताबिक, अगले वित्तीय वर्ष के लिए 2.81 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए बिल्कुल अपर्याप्त है और इसका असर सैन्य तैयारियों पर भी पड़ सकता है.

आर्मी ने 2017-18 बजट में आधुनिकीकरण के लिए जो फंड मांगा था उसका सिर्फ 60 प्रतिशत ही उसे मिला है. वहीं नेवी को 67 प्रतिशत तो एयर फोर्स को 54 प्रतिशत फंड मिला है. पिछले कुछ सालों में सशस्त्र सेनाओं के लिए आवंटन में मामूली बढ़ोतरी के लिए सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए समिति ने कहा कि उक्त धनराशि से तो सेनाओं की मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं की जा सकतीं. समिति का कहना है कि वह रक्षा मंत्रालय की इस मांग से पूरी तरह इत्तेफाक रखती है कि आधुनिकीकरण के लिए वित्त मंत्रालय को धन आवंटन बढ़ाने पर अवश्य विचार करना चाहिए.

बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय भी भेजा गया है और उनसे हस्तक्षेप कर बजट बढ़ाने की उम्मीद की गई है. समिति ने इस बात का भी संज्ञान लिया है कि जीडीपी के प्रतिशत के हिसाब से भी रक्षा व्यय वर्ष 2000-2001 के 2.36 फीसदी की तुलना में वर्ष 2017-18 में घटकर केवल 1.56 फीसदी रह गया है.

आर्मी को इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट के लिए बजट में 64,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है. लेकिन अभी तक उसे सिर्फ 4,000 करोड़ रुपये ही मिले. नेवी और एयर फोर्स की स्थिति भी इतनी ही खराब है. उदाहरण के तौर पर नेवी को कैपिटल बजट के तौर पर 18,000 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं, जबकि 2017-18 में पहले से ही चली आ रही देनदारियां करीब 22,000 करोड़ रुपये हैं. समिति ने नौसेना का भी उदाहरण दिया कि उनके पास पुराने हथियार हैं. साथ ही अन्य संसाधनाें की भी भारी कमी है. वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की है जो बेहद निराशाजनक है. वायुसेना के मुताबिक, अगले 10 साल में उसके पास 33 से घटकर सिर्फ 19 स्क्वाड्रन रह जाएंगे. वायुसेना ने बताया कि 2027 तक मिग-21, मिग-27 और मिग-29 विमानों के 14 स्क्वाड्रन रिटायर हो जाएंगे. 2032 तक यह संख्या 16 तक घट जाएगी.

संसदीय समिति ने कहा है कि नौसेना से जुड़े हादसे लगातार हो रहे हैं. पिछले 10 सालों में नेवी से जुड़े 62 हादसे हुए. समिति ने रक्षा मंत्रालय को इन हादसों की जिम्मेदारी लेने को कहा है. समिति ने रिपोर्ट में उड़ी और पठानकोट आतंकी हमलों के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाने के लिए रक्षा मंत्रालय की भी खिंचाई की है। समिति का कहना है कि इन आतंकी हमलों के बाद सुरक्षा का स्तर बढ़ाया जाना चाहिए था, लेकिन इतने समय बाद भी ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दिया.

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