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बेहद मुश्किलों भरा था ‘रामायण’ बनाने वाले रामानंद सागर का जीवन, करनी पड़ी थी चपरासी की नौकरी

जब कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में एक समय के प्रसिद्ध धारावाहिक “रामायण” के राम सीता और लक्ष्मण ने भाग लिया लिया तो लोगों के दिमाग में 33 साल पुरानी “रामायण” की यादें एक बार फिर से ताजा हो गई. 80 के दशक में प्रसारित हुए “रामायण” धारावाहिक लोगों के बीच इतना प्रसिद्ध हो गया था कि लोग धारावाहिक के प्रसारण के समय टीवी स्क्रीन के आगे हाथ जोड़ कर बैठ जाते थे और शहर में सन्नाटा फैल जाता था, पर सबसे दुख की बात यह है कि जिस इंसान ने इतने प्रसिद्ध धारावाहिक “रामायण” का निर्माण किया उसकी अपनी जिंदगी बहुत ही और कठिनाइयों से भरी रही है. हम बात कर रहे हैं रामायण के लेखक, निर्माता और निर्देशक रामानंद सागर की…. रामानंद के सागर की फैमिली की फाइनेंसियल कंडीशन अच्छी नहीं थी. अपने बच्चे ना होने की वजह से रामानंद सागर की नानी ने उन्हें गोद ले लिया था. इसी बीच रामानंद सागर की मां की मृत्यु हो गई और उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली.

पर्सनल लाइफ में इतने उतार-चढ़ाव होने की वजह से रामानंद सागर के सामने उनकी पढ़ाई को लेकर बहुत सारी समस्याएं आ गई थी. पैसों की कमी के कारण उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा था. पैसो की कमी के कारण उन्होंने एक चपरासी की नौकरी कर ली. चपरासी की नौकरी में उन्हें थोड़े बहुत पैसे मिल जाते थे पर उनसे सारी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थी. इसलिए रामानंद सागर ने चपरासी के साथ-साथ ट्रक क्लीनर से लेकर साबुन बेचने और सुनार का काम भी किया. वो दिन में पैसे कमाते थे और रात में अपनी पढ़ाई करते थे. 1932 में रामानंद सागर ने अपने करियर की शुरुआत एक क्लैपर बॉय के रूप में की थी. सीन शुरू होने से पहले उन्हें सिर्फ क्लैप बजाना होता था.

जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो रामानंद सागर मुंबई आ गए. मुंबई आने के बाद उन्होंने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर में असिस्टेंट स्टेज मैनेजर के रूप में काम करना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने राज कपूर की फिल्म “बरसात” की कहानी और स्क्रीनप्ले लिखा. तमाम मुश्किलों को पार करने के बाद रामानंद सागर ने अपनी टीवी प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत की. इन्होंने सागर फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत बहुत सारे हिट फिल्मों का निर्माण किया. 80 के दशक में टेलीविजन की दुनिया में बहुत क्रांति हो रही थी. उस समय दूरदर्शन मनोरंजन का एकमात्र साधन बनकर उभरने लगा.

रामानंद सागर यह समझ गए थे कि आने वाले समय में टेलीविजन का दबदबा बढ़ने वाला है. तब उन्होंने “रामायण” और “महाभारत” जैसे धारावाहिकों का निर्माण किया. यह दोनों ही धारावाहिक आज भी टेलीविजन के इतिहास में क्लासिक स्थान पा चुके हैं. इतना ही नहीं “रामायण” में राम और सीता की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को तो लोग सच में राम सीता मानकर उनकी पूजा करने लगे थे. उस समय यह लोग जहां भी जाते थे लोग इन्हें नमस्ते करने की जगह इनके पैर छूकर प्रणाम करते थे.

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