दिलचस्प

राजा को एक संत सोने की मुद्रा देता है, मुद्रा पाकर राजा के मन का लालच तुरंत खत्म हो जाता है

लालची इंसान के पास चाहे कितनी भी धन दौलत क्यों ना हो उसकी नजर हमेशा औरों की धन दौलत पर ही रहती है। लालच में पड़कर इंसान की सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है और वो गलत कार्य करने लग जाता है। इस विषय से एक कथा भी जुड़ी हुई है जो कि लालच ना करने की सीख देती है। कथा के अनुसार एक राजा बेहद ही धनी था। लेकिन ये राजा काफी लालची हुआ करता था और इसकी नजर हमेशा औरों के पैसों पर ही रहती थी। एक दिन राजा को पता चला की पड़ोसी राज्य के पास खूब संपत्ति और धन-दौलत है। जिसके बाद राजा ने पड़ोसी राज्य पर हमला करने का निर्णय ले लिया। राजा ने अपने मंत्री को आदेश देते हुए कहा कि वो कुछ ही दिनों में पड़ोसी राज्य पर हमला करेंगे। मंत्री ने राजा को खूब समझाने की कोशिश की कि युद्ध में कुछ नहीं रखा है जितना धन उनके पास है उसकी मदद से राजा की सात पुश्ते आसानी से राज कर सकती हैं। लेकिन राजा ने अपने मंत्री की एक भी ना सुनी।

राजा का आदेश मानते हुए मंत्री ने सेैनिकों को युद्ध में चलने के लिए तैयार होने को कहा। युद्ध में जाने से पहले सभी सैनिक जंगल में जाकर युद्ध का अभ्यास करने लगे। इसी जंगल में एक संत भी रहा करता था। संत इतने सारे सैनिकों को देख कर हैरान हो गया और उसने तुरंत मंत्री के पास जाकर सैनिकों के युद्ध अभ्यास की वजह पूछी। तब मंत्री ने संत को बताया कि उनका राजा लालच में आकर पड़ोसी राज्य पर हमला करने जा रहा है और ये उसी हमले की तैयार चल रही है।

संत ने मंत्री की बात सुनकर मंत्री से कहा, तुम जब युद्ध के लिए राजा के साथ जाओ तो इस मार्ग का प्रयोग करना। मैं तुम्हारे राजा से मिलना चाहता हूं। राजा अपने सैनिकों के साथ पड़ोसी राज्य पर हमला करने के लिए निकल पड़ता है और रास्ते में राजा संत को खड़ा पाता है। मंत्री राजा को बताता है कि ये संत बेहद ही विद्वान है और दूर-दूर से लोग इस संत के पास आया करते हैं और इनका आशीर्वाद लिया करते हैं। इसलिए आप भी युद्ध पर जाने से पहले संत से आशीर्वाद ले लें।

मंत्री की बात मानते हुए राजा संत के पास जाता है और संत से आशीर्वाद लेता है। संत राजा को आशीर्वाद देने से पहले पूछता है कि तुम कहा जा रहे हो। राजा संत को बताता है कि वो पड़ोसी राज्य पर हमला करने जा रहे हैं ताकि उस राज्य की संपत्ति और धन उनके कब्जे में आ जाए। ये सुनने के बाद संत राजा को आशीर्वाद देता है और एक सोने का सिक्का देता है।

स्वर्ण मुद्रा देखकर राजा हैरान हो जाता है। संत राजा से कहता है कि ये मेरे गुरु ने मेरे को दी थी और कहा था कि जब तुम्हें कोई बेहद ही गरीब व्यक्ति मिले तो ये सिक्का उसे दे दें। ताकि उसकी गरीबी दूर हो जाए। राजा संत की ये बात सुनकर गुस्सा हो जाता है और संत से कहता है कि आपको मैं गरीब लगता हूं। संत हंसते हुए राजा से कहता है, हां इतना विशाल राज्य होने के बाद भी आप छोटे से राज्य की संपत्ति पर नजर रखते हैं तो आप से बड़ा गरीब इंसान और कौन हो सकता है। आपके लालच का कोई अंत नहीं है, इसलिए ये सिक्का आप रख लें। संत की बात सुनकर राजा को अपनी गलती का अहसास होता है और राजा संत से वादा करता है कि वो कभी भी लालच में आकर कोई गलत कदम नहीं उठाए।

कथा की सीख- लालच की वजह से व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और वो गलत राह पर चलने लग जाता है।

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