राजनीति

योगी आदित्यनाथ की हुंकार, कहा – सपा जीती तो बनेंगे कर्बला-कब्रिस्तान, बीजेपी जीती तो राम मंदिर!

नई दिल्ली – उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अब अपने अंत की तरफ बढ़ रहा है। चार चरणों के मतदान हो चुके हैं पांचवा चरण का मतदान होने वाले है। पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं और अभी तक के आंकलन के मुताबिक बीजेपी को यूपी में ज्यादा सीटें मिलते हुए दिख रही है। पीएम मोदी लगातार रैलियां कर रहे हैं और विरोधियों पर जमकर हमले कर रहे हैं। पीएम मोदी के साथ अन्य नेता भी लगातार रैलियां कर अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने में लगे हुए हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा उठाकर नया दांव चला रहा है। Bjp leader adityanath speech again.

यूं तो राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे को लेकर शुरु से ही राजनीति होती रही है और चुनावों के दौरान भी ये एक अहम मुद्दा बनता रहा है लेकिन क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार इसलिए यह मुद्दा इस बार के चुनावों में काफी जोर-शोर से उठाया जा रहा है।

Bjp leader adityanath speech again

 बीजेपी जीती तो अयोध्या में बनेगा राम मंदिर –

बीजेपी नेता और गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर यूपी में पांचवे चरण के चुनावों से पहले हुंकार भरी है।  योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को यूपी के बलरामपुर में एक चुनावी रैली को संबंधित करते हुए कहा, “अगर समाजवादी पार्टी जीतेगी तो कर्बला-कब्रिस्तान बनेंगे, जबकि भाजपा की सरकार बनेगी तो अयोध्या में राम मंदिर बनेगा।”  उत्तर प्रदेश में चुनावी जंग शुरु हो चुकी है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता कई बार आरोप लगते हुए दिखे हैं की भाजपा को राम मंदिर का मुद्दा सिर्फ चुनाव के समय याद आता है।

अयोध्या में राम मंदिर के निर्णाण और विवाद की कहानी –

6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या का इतिहास और भूगोल बदल गया। अयोध्या में राम मंदिर को निर्माण को लेकर जिस जमीन पर दावा होता रहा है इस पर करीब साढे चार सौ साल से विवाद है। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आया और हाईकोर्ट ने ज़मीन को तीन हिस्सों में बांट दिया। जिसमें दो तिहाई हिस्सा हिन्दू पक्ष को मिला और एक तिहाई सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मिला। लेकिन, इस फैसले से कोई भी पक्ष संतुष्ट नहीं हुआ, और ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव शुरु हो चुके हैं ऐसे में राम मंदिर का मुद्दा एक फिर राजनीतिक अखाड़े का सबसे बड़ा दांव बन चुका है।

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