बॉलीवुड

क्या सच में पैसे देकर अवार्ड खरीदते हैं बॉलीवुड स्टार्स? जाने अवार्ड फंक्शन के 9 गंदे राज

बॉलीवुड फिल्म और एक्टर्स दोनों ही दो प्रकार के होते हैं. पहले अच्छे और दुसरे बुरे. मतलब कोई फिल्म बेहद अच्छी होती हैं तो वहीं दूसरी इतनी बकवास होती हैं कि पूरी झेलाती भी नहीं हैं. यही बात एक्टर्स की एक्टिंग पर भी लागू होती हैं. अब कौन अच्छा हैं और कौन बुरा ये तय करने का काम दर्शकों के साथ बॉलीवुड के अवार्ड शो भी करते हैं. आप ने भी कई बॉलीवुड अवार्ड फंक्शन देखे होंगे. ऐसे में क्या कभी सोचा हैं कि ये लोग बेस्ट एक्टर या बेस्ट फिल्म आ अवार्ड किसे और कैसे देते हैं? इनकी अवार्ड केटेगरी कैसे बनती हैं? इस अवार्ड फंक्शन के पीछे कई गंदे राज़ भी छिपे हैं जो आज हम आपके सामने उजागर करने जा रहे हैं.

फेक रिएक्शन

कोई भी अवार्ड शो 4 से 5 घंटे का होता हैं. ऐसे में ये बड़े सितारें इतनी देर नहीं बैठते हैं. ये लोग बस उसी टाइम आते हैं जब इन्हें कोई अवार्ड लेना या देना होता हैं. उस थोड़े से समय में ये जो भी स्माइल करते हैं, ताली बजाते हैं बस उसी से विडियो एडिटर को काम चलाना पड़ता हैं. यही वजह हैं कि पुरे शो में एक ही एक्टर का सेम रिएक्शन जिअसे मुस्कुराना या ताली बजाना बार बार दिखाया जाता हैं.

परफॉरमेंस और भावताव

एक बार अक्षय कुमार ने इंटरव्यू में बताया था कि कई बार अवार्ड शो के आयोजक एक्टर्स को ऑफर देते हैं कि हम अवार्ड आपको दे देंगे उसके बदले आप अपनी स्टेज पर डांस परफॉरमेंस की फीस कम कर दीजिए. ऐसे में अक्षय ने उनसे कहा था कि आप अवार्ड मत दो लेकिन पेमेंट पूरा दो. यही वजह हैं कि कई एक्टर्स अब इस अवार्ड शो का हिस्सा नहीं बन रहे हैं.

निमंत्रण प्रक्रिया

जब अवार्ड आयोजक नॉमिनेशन की फाइनल लिस्ट बना लेते हैं तो वे स्टार्स के मेनेजर को सूचित करते हैं. इसके बाद मेनेजर उनसे कहता हैं कि एक्टर शूट में बीजी हैं या शहर के बाहर हैं इसलिए अवार्ड शो में शायद ही आ पाएगा. इसके बाद अवार्ड वाले दिन यदि उस एक्टर को अवार्ड मिल रहा हैं तो ही वो एक्टर अवार्ड शो में एंटर होता हैं.

जब ऋषि कपूर ने ख़रीदा था पहला अवार्ड

एक इंटरव्यू में ऋषि कपूर इस बात का खुलासा कर चुके हैं कि उन्होंने अपने डेब्यू फिल्म ‘बॉबी’ के लिए शो वालो के पैसो की घुष देकर बेस्ट डेब्यू एक्टर का अवार्ड ख़रीदा था.

बहिष्कार

अवार्ड शो के इस झोलझाल की वजह से आमिर खान और सनी देओल ने इस तरह के इवेंट्स अटेंड करना बंद कर दिया था. अब इसी कड़ी में कंगना रनौत, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, जॉन अब्राहम और अजय देवगन भी शामिल हो आगे हैं.

अच्छी परफॉरमेंस को इग्नोर करना

कई बार बड़े स्टार को शो में बुलाने और अवार्ड देने के चक्कर में बाकी बेहतरीन स्टार को उनकी अच्छी परफॉरमेंस के बावजूद नोमिनेट तक नहीं किया जाता हैं. मसलन 2015 में बेस्ट एक्टर केटेगरी में बेबी के लिए अक्षय कुमार, दृश्यम के लिए अजय देवगन और मांझी के लिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नॉमिनेशन तक में नाम नहीं आया था. हैरत की बात ये थी कि ये बेस्ट एक्टर का अवार्ड शाहरुख़ खान को ‘दिलवाले’ जैसी बकवास फिल्म के लिए दे दिया गया था.

बिना नॉमिनेशन का अवार्ड

कई बार किसी ख़ास सितारें को शो में बुलाने के चक्कर में बिना नॉमिनेशन के ही उन्हें स्पेशल केटेगरी बना कर अवार्ड दे दिया जाता हैं. मसलन स्टार ऑफ़ द इयर, एंटरटेनर ऑफ़ द इयर या मोस्ट पेशल परफॉरमेंस ऑफ़ द इयर इत्यादि चीजें सिर्फ इसलिए क्रिएट की जाती हैं ताकि उस विशेष सितारें को बुरा न लगे और वो अवार्ड शो में आ जाए.

नखरें

कुछ साल पहले एक अभिनेत्री ने अवार्ड शो की बिल्डिंग के बाहर अपनी कार पार्क कर दी और कॉल कर आयोजक से कहा कि यदि उन्हें अवार्ड मिलेगा तो ही वो अंदर आएगी वरना बाहर ही रहेगी. उस एक्ट्रेस का नाम आज तक पता नहीं चला.

मैं सिर्फ ये ही अवार्ड दूंगी

सिर्फ अवार्ड लेने वाले नहीं बल्कि देने वालो के भी नखरे होते हैं. मसलन रेखा सिर्फ बेस्ट एक्टर या एक्ट्रेस का अवार्ड देना ही पसंद करती हैं. कुछ साल पहले श्रीदेवी ने भी स्टेज पर आने से इसलिए मन कर दिया था क्योंकि वो किसी पॉपुलर मेगास्टार को अवार्ड देना चाहती थी ना कि गुमनाम हो चुके एक्टर को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देती.

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