दिलचस्प

अगर आप थोड़ी सी बुद्धिमानी का प्रयोग करें तो बच सकते हैं बड़ी-बड़ी परेशानियों से, क्या आपमें हैं ये गुण?

बहुत समय पहले ही की बात है। मध्य-पूर्वी देश ईरान से एक व्यापारी महाराजा कृष्णदेव राय का अतिथि बनकर आता है। महराजा अतिथि को कोई परेशानी ना हो इसलिए उसके लिए हर चीज की बेहतरीन व्यवस्था करते हैं। उसके खाने रहने के साथ ही अन्य सुविधाओं का अच्छे से ख़याल रखा जाता है। एक दिन की बात है, महाराजा का रसोइया उसके लिए रसगुल्ले बनाकर लाता है। व्यापारी ने रसोइयें को माना कर दिया कि उसे रसगुल्ले नहीं खाने है। अगर हो सके तो रसगुल्ले की जड़ क्या है, इसके बारे में बताये।

तेनाली राम स्वीकार लेते हैं चुनौती:

रसोइया यह सुनकर दंग रह जाता है और इस बात की सूचना महाराजा को देता है। महाराजा रसगुल्ले की जड़ को पकड़ने के लिए चतुर व्यक्ति तेनाली राम को बुलाते हैं। तेनाली राम तुरंत की महाराजा कृष्णदेव की रसगुल्ले ढूंढने की चुनौती स्वीकार कर लेता है। तेनाली राम महाराजा से एक खाली कटोरे और एक धारदार छुरी की एवं एक दिन के मोहलत की माँग करता है।

कटोरे में गन्ने का टुकड़ा देखकर हैरान हो जाते हैं सभी:

अगले ही दिन वह रसगुल्ले की जड़ के टुकड़े करके कटोरे में भरकर और उसे मलमल के कपड़े से ढँककर राजदरबार में बैठे हुए इरानी व्यापारी को देते हैं। तेनाली राम उस ईरानी व्यापारी से कपड़े को हटाकर रसगुल्ले की जड़ देखने के लिए कहते हैं। जब वह कटोरे का कपड़ा हटाता है तो उसमे गन्ने के टुकड़े देखकर हैरान हो जाता है। साथ ही सारे दरबार के लोग और खुद महाराजा कृष्णदेव राय भी हैरान होकर पूछते हैं कि यह क्या है?

तेनाली राम की चतुराई देखकर हँस पड़ते हैं सभी:

तेनाली राम ने अपनी चतुराई दिखाते हुए कहते हैं कि सभी मिठाइयाँ शक्कर से बनती है और शक्कर गन्ने से, इसलिए गन्ना ही रसगुल्ले की जड़ हुआ। तेनाली राम की यह चतुरता देखकर दरबार में बैठे हुए सभी लोग, वह इरानी व्यापारी और महाराजा हँस पड़े और उसके तर्क से संतुष्ट भी हुए।

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