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मिलिए 20 डिग्री वाले आईएएस ऑफिसर से, जो अपने पद से इस्तीफा देकर बना पावरफुल मंत्री

आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे इंडिया का सबसे पढ़ा लिखा व्यक्ति माना जाता है. इस युवक का नाम है डॉ श्रीकांत जिचकर…. श्रीकांत ने अपने करियर की शुरुआत एमबीबीएस डॉक्टर के रूप में की थी. एमबीबीएस करने के बाद उन्होंने नागपुर से अपनी एमडी कम्प्लीट की. श्रीकांत को देश का सबसे पढ़ा लिखा व्यक्ति कहा जाता है. इनके पास 20 से भी अधिक डिग्रियां थी. सबसे पहले श्रीकांत में आईपीएस की पढ़ाई की और आईपीएस सिलेक्ट हुए, पर दोनों ही बार उन्होंने इन नौकरियों को ज्वाइन नहीं किया. 1978 में श्रीकांत ने इंडियन सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया. जिसमें उनका सिलेक्शन भारतीय पुलिस सेवा में हुआ, पर श्रीकांत ने इसे भी छोड़ दिया. दोबारा फिर उन्होंने ये एग्जाम दिया इस बार उनका सिलेक्शन आईएएस के तौर पर हो गया, पर 4 महीनों के बाद श्रीकांत ने आईएएस के पद को भी इस्तीफा दे दिया. फिर श्रीकांत ने राजनीति की तरफ अपने कदम बढाए.

1980 में श्रीकांत महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीते. श्रीकांत 26 साल की उम्र में देश के सबसे युवा विधायक बने. अब हम आपको श्रीकांत की अन्य डिग्रियों और पढ़ाई के बारे में बताते हैं. श्रीकांत ने एलएलएम (इंटरनेशनल लॉ) में पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट किया. इसके बाद उन्होंने डीबीएम और एमबीए (मास्टर्स इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) की पढ़ाई की. इतनी पढ़ाई करने के बाद भी श्रीकांत नहीं रुके. श्रीकांत ने फिर पत्रकारिता की भी पढ़ाई की और बैचलर ऑफ जर्नलिज्म की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने संस्कृत में डिलीट (डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) की पढ़ाई की. जो किसी भी यूनिवर्सिटी की सबसे ऊंची डिग्री मानी जाती है. श्रीकांत ने समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास, इंग्लिश, दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान, प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व और मनोविज्ञान में भी एम.ए किया था.

सबसे ध्यान देने वाली बात यह है कि उन्होंने यह सभी डिग्रियां मेरिट में रहकर हासिल की थी. अपनी पढ़ाई के दौरान श्रीकांत ने कई बार गोल्ड मेडल हासिल किया. 1973 से लेकर 1990 तक उन्होंने 42 बार यूनिवर्सिटी एग्जाम दिए. श्रीकांत एक के बाद एक डिग्री हासिल करने के बाद महाराष्ट्र के सबसे ताकतवर मंत्री बने. उस समय 14 विभाग श्रीकांत के अंडर थे. यहाँ श्रीकांत ने 1982 से लेकर 1985 तक काम किया, फिर वह 1986 में महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बने. यहां पर श्रीकांत 1992 तक रहे. 1992 से लेकर 1998 के बीच श्रीकांत राज्यसभा के सदस्य रहे. 1999 में जब डॉ श्रीकांत जिचकर राज्यसभा के चुनाव में हार गए तब उन्होंने अपना फोकस यात्राओं पर केंद्रित किया. वह देश के ऐसे हिस्सों में गए जहां स्वास्थ्य शिक्षा आदि की कमी थी.

उन्होंने यूनेस्को में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया. श्रीकांत के पास भारत की सबसे बड़ी पर्सनल लाइब्रेरी मौजूद थी. इस लाइब्रेरी में 52000 से भी अधिक किताबें मौजूद थी. डॉ श्रीकांत जिचकर का नाम “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में इंडिया के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति के रूप में शामिल किया गया है. डॉ श्रीकांत जिचकर एक अकादमिक, पेंटर, प्रोफेशनल, फोटोग्राफर और स्टेज अभिनेता भी थे. 1992 में श्रीकांत ने एक स्कूल की स्थापना की. अपनी उम्र के बाद उन्होंने केवल अपने दम पर महाराष्ट्र में संस्कृत यूनिवर्सिटी की स्थापना की और उसके चांसलर बने. डॉ श्रीकांत जिचकर जैसे प्रतिभाशाली शख्स की मृत्यु बहुत जल्दी हो गई. 2 जून 2004 की रात श्रीकांत कार से अपने एक दोस्त के फार्म हाउस से अपने घर जा रहे थे. वह खुद ही अपनी कार ड्राइव कर रहे थे. रास्ते में उनकी कार की टक्कर एक बस के साथ हो गई. इस हादसे में सिर्फ 49 साल की उम्र में उनकी दुखद मृत्यु हो गई. भले ही श्रीकांत की उम्र बहुत कम थी लेकिन इतनी कम उम्र में भी उन्होंने बहुत सारी भूमिकाएं निभाई और खूब पढ़ाई की. उन्होंने राजनीति में भी बहुत सारा काम किया.

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